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    भारत-पाक सीमा

    भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते क्लेश पर तालिबान ने दोनों राष्ट्रों को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि इस अशांति का असर शान्ति प्रक्रिया पर पड़ेगा। तालिबान ने भारत को अधिक सैन्य कार्रवाई न करने से हिदायत दी है।

    अफगान शांति पर असर

    तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने बयान में कहा कि “इस विवाद के जारी रहने का सीधा असर अफगान शान्ति प्रक्रिया पर पड़ेगा।” क़तर में अभी तालिबान अमेरिकी प्रतिनिधियों से साथ शान्ति प्रक्रिया के बाबत बातचीत कर रहा है। अफगान में जारी 17 वर्षों की जंग को खत्म करने के लिए तालिबान और अमेरिका के बीच बातचीत का सिलसिला जारी है।

    फर्जी खबर

    इस बयान के जारी होने के बाद तालिबान ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि उन्होंने भारत और पाक के बीच चल रहे विवाद पर कोई टिप्पणी नहीं की है। उन्होंने कहा कि “मीडिया में जारी बयान फर्जी था क्योंकि तालिबा ने कोई बयान जारी नहीं किया था।”

    तालिबानी प्रवक्ता ने कहा कि “हमने नहीं कहा कि भारत और पाकिस्तान के संघर्ष का असर अफगान शान्ति प्रक्रिया पर पड़ेगा। सोशल मीडिया पर जारी प्रेस बयान फर्जी है।”

    बीते माह दोहा में छह दिनों तक बातचीत का दौर शुरु हुआ था। जिससे शान्ति वार्ता के लाभ की उम्मीद जगी थी। हालाँकि दोनों सरकारों के मंसूबे अलग-अलग हैं। अफगानी सरजमीं को तालिबान अंतर्राष्ट्रीय आतंकी समूहों का अड्डा नहीं बनने दिया जाता है।

    अफगानी सरजमीं से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया है। लेकिन अफगान सरकार ने अपनी चिंता जाहिर की है कि उन्हे इस वार्ता से दरकिनार किया जा रहा है। तालिबान का नेता और कट्टरपंथ इस्लामिक मूवमेंट के उप संस्थापक मुल्ला अब्दुल घनी बरादर भी शनिवार को क़तर पंहुचे हैं।

    तालिबान के साथ वार्ता में अफगान सरकार को किनारे करने पर अफगानी हुकूमत कई बार अपनी चिंता जाहिर कर चुकी है। सोमवार को देश के प्रधानमंत्री ने कहा कि “तालिबान अभी तक अफगान सरकार के साथ बातचीत को तैयार नहीं है। लेकिन हम तैयार है। हमारे ख्याल से तालिबान की बेईमानी ही एक मात्र अड़चन है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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