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    तालिबान के लड़ाके

    अमेरिका के विशेष राजदूत सोमवार को तालिबान के साथ शान्ति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए सोमवार को दोहा पंहुच चुके हैं। उन्होंने कहा कि “यह बेहद महत्वपूर्ण पल होगा।” राजदूत ने ट्वीट कर कहा कि “तालिबान से बातचीत के लिए दोहा पंहुच चुका हैं। यह बेहद मह्त्वपूर्ण पल होंगे”

    बीते माह दोहा में छह दिनों तक बातचीत का दौर शुरु हुआ था। जिससे शान्ति वार्ता के लाभ की उम्मीद जगी थी। हालाँकि दोनों सरकारों के मंसूबे अलग-अलग हैं। अफगानी सरजमीं को तालिबान अंतर्राष्ट्रीय आतंकी समूहों का अड्डा नहीं बनने दिया जाता है।

    बातचीत होगी शुरू

    अफगानी सरजमीं से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया है। लेकिन अफगान सरकार ने अपनी चिंता जाहिर की है कि उन्हे इस वार्ता से दरकिनार किया जा रहा है। तालिबान का नेता और कट्टरपंथ इस्लामिक मूवमेंट के उप संस्थापक मुल्ला अब्दुल घनी बरादर भी शनिवार को क़तर पंहुचे हैं।

    हालाँकि यह अस्पष्ट है कि बरादर का इस बातचीत में क्या रोल होगा। काबुल में स्थित विश्लेषक ने बताया कि मुल्ला बरादर का इस बैठक में शामिल होने का मतलब इस दफा दोनों राष्ट्र गंभीर हैं। मुल्ला बरादर को साल 2010 में पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन अक्टूबर में रिहा कर दिया गया था। वह दोहा में स्थित तालिबान के दफ्तर का प्रमुख है।

    अफगान सरकार, दरकिनार

    तालिबान के साथ वार्ता में अफगान सरकार को किनारे करने पर अफगानी हुकूमत कई बार अपनी चिंता जाहिर कर चुकी है। सोमवार को देश के प्रधानमंत्री ने कहा कि “तालिबान अभी तक अफगान सरकार के साथ बातचीत को तैयार नहीं है। लेकिन हम तैयार है। हमारे ख्याल से तालिबान की बेईमानी ही एक मात्र अड़चन है।”

    तालिबान ने बीते कई मौकों पर हाल ही में काबुल ने कहा कि रूस ने तालिबान प्रतिनिधियों को यात्रा की आज़ादी दी, जबकि वह अंतर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा प्रतिबंधित थे। इस बैठक का अफगानिस्तान शुरुआत से ही विरोध कर रहा था। उन्होंने कहा कि यह सरासर अफगानी नेतृत्व और नियंत्रित शान्ति प्रक्रिया के खिलाफ है। अफगान सरकार से बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। मास्को में आयोजित शान्ति वार्ता में तालिबान के इंकार के बाद रूस ने अफगान सरकार को शामिल करने के इरादे को टाल दिया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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