Sat. Sep 28th, 2024
    अरुण जेटली

    सरकार ने हाल ही में जीएसटी के नियमों में बदलाव कर कम्पोजीशन स्कीम की सीमा को 1 करोड़ से बढ़ाकर 1.5 करोड़ कर दिया है। कम्पोजीशन स्कीम के लिए व्यापारियों को हर चार महीने में टैक्स भरना पड़ता है।

    जीएसटी से जुड़े एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘पिछले 1 करोड़ की सीमा को अब बढ़ाकर 1.5 करोड़ किया जा रहा है। यह नए बदलाव केंद्रीय एक्साइज के तहत ही लागू किये गए हैं। 1.5 करोड़ रूपए की नया सीमा छोटे व्यापारियों के लिए काफी मददगार साबित होगी, इसके अलावा इससे सरकार को किसी प्रकार का घाटा भी नहीं होगा। अब नए व्यापारी जो कम्पोजीशन स्कीम के लिए उपर्युक्त भी हैं, वे भी इसके लिए आवेदन नहीं कर रहे हैं।’

    जाहिर है निल श्रेणी में से बड़ी मात्रा में लोगों ने जीएसटी के लिए आवेदन किया था। इनमे से करीबन 15 .5 लाख व्यापारियों ने कम्पोजीशन स्कीम के लिए आवेदन किया था। अब इन नए बदलावों से इस संख्या में इजाफा हो सकता है।

    इसके अलावा कम्पोजीशन स्कीम के अंतर्गत व्यापारियों के लिए लगने वाली फीस को 2 फीसदी से घटाकर अब 1 फीसदी कर दिया है।

    कम्पोजीशन स्कीम क्या है?

    कम्पोजीशन स्कीम के तहत वे व्यापारी टैक्स भरते हैं, जिनकी सालाना आय 1.5 करोड़ रूपए से कम है। इन व्यापारियों को हर चार महीने में टैक्स भरना पड़ता है। इसके तहत अपने कुल व्यापार का 2 फीसदी टैक्स लगता था, जिसे अब कम करके 1 फीसदी कर दिया है।

    इसके अलावा व्यापारियों के पास यह भी विकल्प होता है कि वे अपने व्यापार में से एक निर्धारित हिस्सा टैक्स के रूप में दे सकते हैं।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।