पॉप फ्रांसिस ने पवित्र स्थल चर्च में बच्चों के यौन शोषण पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। पॉप फ्रांसिस बच्चों के यौन शोषण की परेशानी से निपटने के लिए आयोजित सम्मलेन में बिशपों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने यौन शोषण की तुलना नरबलि से की है।
बीते वर्षों में चर्च में बच्चों के साथ यौन शोषण और नन व महिलाओं के यौन उत्पीड़न की खबरों से विश्व में क्रोध का माहौल है। चर्च में होने वाले इन अपराधों को रोकने और पवित्र स्थल पर दोबारा लोगों का भरोसा कायम करने के लिए इस सभा का आयोजन किया गया था।
पॉप फ्रांसिस का बयान
चार दिनों तक आयोजित इस प्रेस कांफ्रेंस में पॉप फ्रांसिस ने कहा कि “हमारे काम ने दोबारा हमने बच्चों के यौन शोषण की बुराई का अहसास कराया है। यह बुराई सभी संस्कृतियों और समाजो का हिस्सा रही है।” बच्चों के यौन शोषण की तुलना नरबलि से करते हुए उन्होंने कहा कि “मुझे क्रूर धार्मिक परम्पराओं के बाबत स्मरण है, जो कभी समाज का हिस्सा थी, नरबलि की प्रथा। जो गैर ईसाई धर्म में अधिकतर होती थी। जो पादरी बच्चों को शिकार बनाते हैं, वे शैतान का रूप है। इस बुराई पर ध्यान देना हमारी जिम्मेदारी है।”
इस सभा में चर्च में यौन शोषण से पीड़ित दो महिलाओं ने भी भाग लिया था, जिन्होंने इस सभा के आयोजन पर भी सवाल उठाये थे। एक पीड़ित महिला ने कहा कि “यहां यौन शोषण की वारदातों को रोकने की बात की जा रही है। दशकों से शोषण की परंपरा को जारी रखने वाले अब इसके खिलाफ कानून बनाने की बात कर रहे है। कानून निर्माताओं में महिलाओं, समाज, यौन शोषण से पीड़ित और यौन शोषण के शिकार लोगों की कोई भूमिका नहीं है।”