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    असदुद्दीन ओवैसी

    ऑल इंडिया मजलिस-ए-मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दिन औवेसी ने केन्द्र सरकार की नीति की आलोचना की है। हाल ही में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ऑर्गनइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए रजामंदी जाहिर की थी।

    अच्छी विदेश नीति नहीं

    हैदराबाद से सांसद औवेशी ने कहा कि ओआइसी ने साल 2018 में भारत की पांच बार निंदा की थी। हमारे सुरक्षा अभियान को आतंकवादी कृत्य कहा था और क्या हम उनकी मेहमान नवाजी से खुश होंगे। हम इस विदेश नीति का इस्तेमाल कर रहे हैं। पीएम मोदी और सुषमा स्वराज को इस विदेश नीति में मौजूद त्रुटियों और गड़बड़ियों को परिवर्तित कर देना चाहिए।

    एक अन्य ट्वीट में औवेसी ने कहा कि दूसरे मुस्लिम देशों के साथ करीबी के पीछे सरकार की क्या मंशा है। उन्होंने कहा कि विदेशी मुस्लिम मुल्कों को भारतीय मुस्लिम नागरिकों के साथ जोड़ना पहले से ही अजीब है, लेकिन हमारे नागरिकों की मौजूदगी के लिए इस आमंत्रण को मान्यता देना, एक अच्छी विदेश नीति नहीं हो सकती है।

    सुषमा स्वराज आईओसी के विदेश मंत्रियों की 46 वें सम्मलेन में शामिल होंगी। इस सम्मेलन का आयोजन अबू धाबी में 1-2 मार्च तक किया जायेगा। बीते 50 वर्षों में भारत पहली दफा इस सम्मलेन में शरीक होगा। भारत ने इस निमंत्रण के लिए यूएई का आभार व्यक्त किया और कहा कि इसे स्वीकारने में उन्हें ख़ुशी होगी।

    भारत  के प्रभाव में

    विदेश नीति के जानकारों के मुताबिक मुस्लिम देशों की तरफ से सुषमा स्वराज को आमंत्रण भारत की बढ़ती प्रभाविकता को दर्शाता है। यह पाकिस्तान के लिए भी झटका है कि आईओसी भारत को एक महत्वपूर्ण सहयोगी के तौर पर देखता है।विदेश मंत्रालय ने कहा था कि “यह आमंत्रण यूएई के साथ भारत के मज़बूत संबंधों का नतीजा है। इसमें भारत 18.50 करोड़ मुस्लिमों की उपस्थिति, अहम योगदान और इस्लामिक दुनिया में भारत के इस्तेकबाल के तौर पर देखता है।”

    ऑर्गनइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन का गठन साल 1969 में हुआ था, जिसमे 57 राष्ट्र शामिल है और 40 मुस्लिम प्रमुख राष्ट्र हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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