केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने एनडीए से अपना समर्थन वापस खींचने की धमकी दी है। अपना दल प्रमुख का आरोप है कि भाजपा अपने साथ गठबंधन में शामिल पार्टियों से अच्छा व्यवहार नहीं कर रही है। सहयोगी दलों का न तो कोई पद दिया जा रहा है और न ही उनकी बातों को तव्वजों मिल रहा है।
2014 लोकसभा चुनाव में अपना दल ने पूर्वी उत्तर प्रदेश की दो सीटें, मिर्जापुर और प्रतापगढ़ की सीटें अपने नाम की थी। आगे चलकर दल में विभाजन हो गए लेकिन अनुप्रिया पटेल की ईकाई गठबंधन में बनी रही।
अनुप्रिया ने कहा कि,”हमने अपने सवालों के जवाब देने के लिए भाजपा को 20 फरवरी तक का समय दिया था लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया। ऐसा लग रहा है कि भाजपा को अब सहयोगियों की जरुरत नहीं है। यदि ऐसा है तो अपना दल अकेला तय कर सकता है कि उसे क्या करना है। हम जल्द ही पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाने वाले हैं।उसमें निर्णय होगा कि आगे क्या करना है।”
बीते कुछ समय से अपना दल के सभी नेता भाजपा के खिलाफ बयान दे रहे हैं। उनकी बातों से लग रहा है कि अपना दल जल्द ही अपनी राह अलग कर लेगा। अनुप्रिया पटेल पिछले काफी समय से भाजपा से अपने पार्टी के लिए मंत्री पद व अधिकारों की मांग कर रही है।
अपना दल के अध्यक्ष व अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने की अटकलों से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि,”हम खुद चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनें। हमारी नाराजगी यूपी भाजपा से है। भाजपा को गठबंधन में साथ आई पार्टियों के बारे में भी राज्य में ध्यान रखना चाहिए। यदि सभी बातें सही तरह से हल हुई तो निश्चित ही हम 2019 में एनडीए में शामिल होंगे।” उन्होंने कहा कि “भाजपा ने यूपी में अपनी पार्टी के 300 लोगों को स्टेट कॉरपोरेशन में रखा लेकिन अपना दल के किसी एक को भी मौका नहीं मिला।”
अपना दल का गठन सन् 1995 में सोनेलाल पटेल ने किया था। इस पार्टी ने अनुप्रिया पटेल की अगुवाई में साल 2012 में पहली बार यूपी असेम्बली चुनाव में जीत दर्ज की थी।