गुरुवार को उमर अब्दुल्लाह ने पीएम मोदी से एक बेहतर नेतृत्व के लिए आग्रह किया है।
कहा कि “बीते हफ्ते पुलवामा में हुए आतंकी हमले को लेकर पूरे देशभर में कश्मीरियों को प्रताड़ित किया जा रहा है। एक राज्य के गवर्नर तो कश्मीरियों का बहिस्कार तक करने की बात कही है।” उन्होंने आगे कहा कि,”गवर्नर के इस बयान पर न तो प्रधानमंत्री न तो गृहमंत्री ने सख्ती दिखाई है।”
Dear PM @narendramodi Sahib, can we please have a few words of condemnation for the systematic attacks directed against Kashmiri students & others or does your concern not extend as far north as Kashmir?
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) February 20, 2019
नेशनल कॉफ्रेंस के नेता ने कहा है कि, इस समय जम्मू-कश्मीर में एक राजनीतिज्ञ की नहीं बल्कि राजनेता की जरुरत है।
उमर अब्दुल्लाह ने यह भी कहा कि, “देशभर में कश्मीरियों व कश्मीरी छात्रों के खिलाफ अभियान चलाए जा रहे हैं। लोगों के मन में यह बात डाली जा रही है कि कश्मीरी भरोसे के लायक नहीं हैं। देश के तमाम हिस्सों में पढ़ने गए छात्रों का भविष्य खतरे में है।”
आगे उन्होंने यह भी कहा कि महज एक चुनाव के लिए एक पूरे समुदाय की बलि नहीं दी जा सकती है। जिस तरह से हमले के लिए विरोध प्रदर्शन किया गया था, वह चिंताजनक है।
उन्होंने पुलवामा आत्मघाती हमले पर युद्ध के विपरीत नसीहत दी। आगे ऐसी घटनाओं के लिए दोनों मुल्कों के बीच सहमति से रास्ता निकालने का सुझाव दिया।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि शांति वार्ता के लिए ऐसी घटनाओं को रोकने की जरूरत है।
इससे मंगलवार को उमर अब्दुल्लाह व महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार से संयुक्त रुप से अपील की थी कि “सरकार वहां रह रहे मासूमों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। साथ ही कश्मीर में शांति स्थापित करे।” कश्मीरी लोगों पर आत्याचार से दु:खी होकर उन्होंने कहा था कि, “कश्मीरियों पर हमला करते सरकार देश के अन्य समुदायों से उन्हें अलग कर रही है। न चाहते हुए भी हम बंट रहे हैं, वही हो रहा है जो आंतकवादी चाहते थे।”