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    वैश्विक अदालत में सुनवाई

    पाकिस्तान की सलाखों में कैद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले की सुनवाई अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक अदालत में की जा रही है। पाकिस्तान ने आईसीजे से इस मामले को बंद करने की गुजारिश की थी जिसे न्यायिक अदालत ने ठुकरा दिया था।

    जाधव के केस की सुनवाई सोमवार को द हॉग में शुरू हुई थी। पुलवामा में हुए आतंकी हमले के कारण भारत और पाकिस्तान के मध्य तनाव काफी बढ़ रखे हैं। इस आतंकी हमले को अंजाम पाकिस्तान के समूह जैश ए मोहम्मद ने दिया था। जिसमे सीआरपीएफ के 40 सैनिकों की हत्या हो गयी थी।

    पाकिस्तान ने एड होक जज की बीमारी का हवाला देते हुए कार्रवाई को स्थगित करने की गुजारिश की थी। आईसीजे में पाकिस्तान के एड हॉक जज तस्सदुक हुसैन जिल्लानि को सुनवाई से पूर्व हार्ट अटैक आया था। पाकिस्तान के प्रतिनिधि अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान ने सुनवाई की शुरुआत की और कहा कि “हम अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए एक एड हॉक जज की नियुक्ति कर सकते हैं।”

    उन्होंने कहा कि “क्योंकि हमारे जज यहां मौजूद नहीं है, पाकिस्तान एक अन्य जज को इस पद की शपथ करवायेगा। यह आर्टिकल 35-5 के तहत हमारा अधिकार है और इसके लिए हमें पर्याप्त समय की जरुरत है।” लेकिन वैश्विक अदालत ने उनकी दरख्वास्त को ठुकरा दिया और उनकी गैरहाज़िरी में सुनवाई जारी रखने को कहा था।

    भारत ने कुलभूषण जाधव को तत्काल रिहा करने की मांग की है। इस केस में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान सैन्य अदालत की कार्रवाई और कुलभूषण जाधव को मौत की सजा, उचित प्रक्रिया को संतुष्ट करने में विफल रही है।

    हरीश साल्वे ने कहा कि “भारत ने जाधव की हिरासत के दौरान कई बार राजनयिक पंहुच की मांग की थी लेकिन पाकिस्तान ने इसे अनसुना कर दिया था। भारत ने जाधव तक राजनयिक पंहुच के लिए 13 बार आग्रह किया लेकिन पाकिस्तान ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया था।”

    हरीश साल्वे ने बताया कि “25 दिसंबर 2017 को जाधव को उसके परिवार से मिलने की अनुमति पाक सरकार ने दी थी। पाक ने परिवार को जिस तरीके से जाधव से मिलवाया, इस अमानवीय प्रयास के खिलाफ भारत ने 27 दिसंबर को विरोध जताया था।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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