Fri. Nov 22nd, 2024
    अनिल अंबानी

    बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस कम्युनिकेशन के चेयरमैन अनिल अंबानी को एरिकसन का बकाया कर्ज चुकाने के निर्देशों की अवमानना का दोषी ठहराया। इस पर कोर्ट ने यह शर्त रखी की यदि ये कर्ज अदायगी चार सप्ताह में पूरी नहीं की जाती है तो उन्हें 3 महीने की जेल की सज़ा सुनाई जायेगी।

    अनिल अंबानी पर एरिकसन का 550 करोड़ का कर्ज :

    रिलायंस कम्युनिकेशन ने एरिक्सन के साथ डील की थी जिसके अंतर्गत एरिक्सन का रिलायंस पर 550 करोड़ का कर्ज चढ़ गया था। रिलायंस ने नियत समय में मूल्य एरिक्सन को नहीं दिया और जब एरिक्सन ने इसके बारे में पूछा तो रिलायंस ने अतिरिक्त 60 दिन मांगे। लेकिन इन 60 दिनों के ख़त्म होने के बाद भी रिलायंस ने यह कर्ज नहीं चुकाया।

    इस अवमानना से आहत हो एरिक्सन ने कोर्ट में अनिल अंबानी की संपत्ति जब्त करने की गुहार लगाईं। हालांकि कोर्ट द्वारा यह स्वीकार नहीं किया गया लेकिन इसके बाद कोर्ट ने रिलायंस की जिओ से डील को मंजूरी नहीं दी। बहुत समय बाद तक कर्ज न देने पर कोर्ट ने रिलायंस के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। यह कोर्ट के आदेशों की अवमानना का मामला था। अतः इसमें हाल ही में सुनवाई में कोर्ट ने अनिल अंबानी से कहा है की या तो वे जेल जाएँ या फिर चार सप्ताह के समय में पूरे कर्ज की अदायगी करें।

    रिलायंस ने दी सफाई :

    सुनवाई की शुरुआत से पहले रिलायंस ने खुद को दिवालिया घोषित कर लिया था। इसका मुख्य कारण रिलायंस कम्युनिकेशन ने अपने आप को दिवालिया घोषित करने का निर्णय मुख्य रूप से नकदी की कमी के चलते लिया है जिसके कारण यह लम्बे समय से अपने कर्जदारों को कर्ज नहीं चूका पाई है। इसके चलते कंपनी के बोर्ड ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत एनसीएलटी के जरिए फास्ट-ट्रैक रेजोल्यूशन प्रोसेस में जाने का विकल्प चुना है।

    DoT ने नहीं दी सौदे को मंजूरी :

    रिलायंस ने कर्ज देने में अपनी नाकामी का यह भी कारण बताया की कुछ समय में उनकी जिओ से 23000 करोड़ का सौदा होने वाला था। इस सौदे के तहत उन्हें जिओ को अपने स्पेक्ट्रम आदि बेचने पर 23000 करोड़ मिलते जिससे वे अपने कर्ज अदा करते लेकिन पीछे का कर्ज बकाया होने के चलते टेलिकॉम डिपार्टमेंट से उन्हें इस सौदे की मंजूरी नहीं मिली जिसके चलते वे कर्ज नहीं चूका पाए।

    सूत्रों के अनुसार रिलायंस का पहले ही लगभग 2000 करोड़ का कर्ज बाकी था। इसके चलते टेलिकॉम डिपार्टमेंट द्वारा जिओ के साथ इस डील को मंजूरी नहीं मिली। डिपार्टमेंट ने शर्त राखी थी की यदि जिओ बकाया कर्ज की जिम्मेदारी लेगा तभी यह डील हो पाएगी एल्किन जिओ ने ऐसा करने से मन कर दिया था और यह डील संभव नहीं हो पायी थी।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *