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    हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी सीटों को जीतने की गणित लगा रहे है। हिमाचल प्रदेश के चुनावों में सभी राजनीतिक दलों का रुख आस्था की ओर कुछ ज्यादा झुक रहा है। चुनावों के पास आते ही मंदिरों और धर्मस्थलों के प्रति नेताओं की श्रद्धा उमड़-उमड़ कर सामने आ रही है। धर्मनगरी के नाम से मशहूर ऊना भी इसकी चपेट में आ गया है। हिमाचल प्रदेश के विधानसभा की सीट संख्या-44 ‘ऊना’ का महत्व यहां के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

    ऊना का नामकरण सिखों के पांचवे गुरु अर्जुन देव ने रखा था। सिखों के पहले गुरु नानक देव का पैतृक घर भी यही मौजूद है। ऊना विशेषतः अपने मंदिरों और धार्मिक स्थलों के कारण काफी मशहूर है। यहां की मुख्य भाषा हिंदी और पंजाबी है। इसकी सीमा पंजाब से जुड़ी हुई है। सीमावर्ती होने के कारण यहां के लोग पंजाब जाकर भी व्यवसाय करते है।

    ऊना में अजेय है बीजेपी

    ऊना विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो वर्ष 2003 के बाद तीन विधानसभा चुनाव में लगातार बीजेपी को जीत मिली है। बीजेपी ने पिछले तीन विधानसभा चुनावों से ना सिर्फ अपनी पकड़ बनाई है बल्कि क्षेत्र में अपनी धाक भी जमा दी है। सतपाल सिंह सत्ती लगातार तीन बार इस क्षेत्र से चुनाव जीतकर प्रेम कुमार धूमल के बाद हिमाचल भाजपा के दूसरे शीर्ष नेता बन गए हैं। सतपाल सिंह सत्ती ने लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीता है। सत्ती ने 2017 में भी यहीं से नामांकन दाखिल किया है। जिसके मद्देनजर ऊना को हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सबसे सुरक्षित सीट माना जा रहा है।

    सत्ती का बीजेपी से पुराना रिश्ता

    सतपाल सिंह सत्ती सक्रिय राजनीति में आने से पहले 1988 से लेकर 1991 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सचिव रहे हैं। 1991 से 1993 तक वे विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सचिव रहे है। इतने सालों तक अलग-अलग पदों पर रहने के बाद उन्होंने प्रदेश की राजनीति में आने का निर्णय लिया था। सतपाल सिंह वर्ष 2012 में भाजपा के हिमाचल के प्रदेशाध्यक्ष चुने गए थे।

    कांग्रेस को लम्बे समय से जीत की तलाश

    हिमाचल के ऊना में कांग्रेस आखिरी बार 1998 में आयी थी। कांग्रेस ने ऊना सीट से सतपाल सिंह रायजादा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। हालाँकि रायजादा को 2012 में भी कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह जीत हासिल करने में असफल साबित हुए थे। रायजादा को क्षेत्र में बतौर युवा चेहरे के रूप में जाना जाता है। सत्ती ने पिछले चुनाव में रायजादा को करीब 4,000 वोटों से शिकस्त दी थी। रायजादा को पुनः मैदान में उतारकर कांग्रेस ने उन्हें एक और मौका दिया है।

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