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    robert vadra news in hindi

    जयपुर में दो दिनों की पूछताछ के बाद पिछले हफ्ते ईडी ने बीकानेर जमीन घोटाले में भी वाड्रा के तार जोड़ दिए। शुक्रवार को हुई ताजा जांच में दिल्ली के सुखदेव विहार में स्थित वाड्रा का 4.62 करोड़ की कीमत वाला घर भी फंसता दिख रहा है।

    दरअसल गांधी परिवार के दमाद का यह घर विवाद में फंसी उनकी कंपनी ‘स्कॉईलाइट हॉस्पिटलिटी प्राइवेट लिमिटेड’ के नाम पर है। बीते 12 फरवरी को कोलायत मामले में जमीन अनुगृहीत करने को लेकर पूछताछ के लिए राबर्ट वाड्रा को जयपुर में बुलाया गया था। वहां उन्हें अधिकारियों के समक्ष पहुंचाने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी पहुंचे थे।

    प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक उन्होंने जमीन को महज 72 लाख रुपये में खरीदा था और उसे बेचने के समय कीमत 5.15 करोड़ रखा। ज्ञात हो कि 2015 में राजस्थान पुलिस ने वाड्रा के खिलाफ मनी लांड्रिंग के केस दर्ज किया था।

    इससे पहले दुबई व लंदन में बेनामी संपति व मनी लांड्रिंग के लिए प्रियंका गांधी के पति से दिल्ली कार्यालय में लंबी पूछताछ की जा चुकी है। उनपर सुरक्षा सौदों व तेल के ठेके में दलाली करने का भी आरोप लगा है। जिसकी जांच व पूछताछ दिल्ली में जारी है।

    फिलहाल ईडी का दावा है कि बीकानेर जमीन सौदे में वाड्रा ने 4.43 करोड़ रुपये का नजायज फायदा लिया है। साथ ही सुखदेव विहार स्थित बंगले में 18.59 लाख रुपये के दलाली लेने का दावा किया जा रहा है। ‘स्कॉईलाइट हॉस्पिटलिटी प्राइवेट लिमिटेड’ पर दर्ज केसों में अबतक वाड्रा और इसकी मां दोनों का नाम शामिल है।

    ऐजंसी ने “15 फरवरी 2019 को बताय कि सुखदेव विहार का घर तकरीबन 4.62 करोड़ रुपये का है जिसमें 18.59 लाख रुपये की चलित संपति है।”

    बीकानेर जमीन की जांच के दौरान पता चला है कि “जिले में’ महाजन फील्ड फायरिंग रेंज’ के लिए सरकार ने 34 गांवों की जमीन ली थी। जिसके बदले लोगों को उचित मुआवजा और रहने की जगह देने की बात कही थी।” बाद में “फर्जी जयप्रकाश बगरवा ने विस्थापितों के लिए निर्धारित 1,422 बीघा जमीन में से 1,372 बीघा जमीन को अवैध तरीके से झूठी रजिस्ट्री कर दूसरे लोगों को व कंपनियों को बेच दिया था।”

    आगे हुई जांच में जब बात साफ हुई और आरोपी पकड़ा गया तब राजस्थान सरकार ने पूरी जमीन केंद्र सरकार को वापस सौंप दी। शुरुआती दिनों में राजस्थान पुलिस ने तकरीबन 18 शिकायतें दर्ज की थी। जिसके बाद अगस्त 2015 और मार्च 2017 में उन्होंने चार्जशीट फाइल की। बाद में मामला ईडी की निगरानी में आ गया।

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