2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारी जोरों पर है। ऐसे में सोशल मीडिया वेबसाइट भी अपने सामर्थ के अनुसार पूरा प्रयास कर रही हैं की फेक न्यूज़ जैसी समस्याओं को रोका जा सकेगा। इसके लिए कुछ मीडिया कम्पनी से मिलकर इसने साझेदारी की है।
फेसबुक की पहल की पूरी जानकारी :
सोशल मीडिया में जैसे जैसे उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ रही है वैसे ही फेक न्यूज़ फैलाने जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं। इनके कारण कई समस्याएँ होती हैं। पिछले कुछ समय से फेसबुक एवं व्हाट्सएप दोनों ही फेक न्यूज़ को फैलने से रोकने के लिए विभिन्न प्रयास कर रहे हैं। यह पहल तब शुरू की जब फेक न्यूज़ के कारण सामुदायिक झग़डों की ख़बरें सामने आयी। अब लोक सभा चुनाव आ रहे हैं तो फेक न्यूज़ के फैलने का ज्यादा खतरा है।
अतः फेसबुक ने भारत के पिछले हफ्ते, फेसबुक ने कहा कि वह भारत में राजनीतिक विज्ञापनों के लिए सख्त नियम पेश कर रहा है। तथ्य की जाँच कार्यक्रम को मजबूत करने के लिए नवीनतम कदम न्यूज़ की सटीकता की पुष्टि करने और होक्स के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से है।
बयान में कहा गया है कि फेसबुक के पांच नए सहयोगियों को जिसमे इंडिया टुडे ग्रुप, और जिसमें एक प्रमुख स्थानीय मीडिया हाउस भी शामिल है, को भारत के तथ्य-चेकर नेटवर्क में जोड़ा गया है,इसके बाद फेसबुक के साथ जुड़ने वाले सहयोगियों की कुल संख्या सात हो गई है।
व्हाट्सएप ने भी की फेक न्यूज़ रोकने की कोशिश :
फेक न्यूज़ की समस्या हर प्लेटफार्म पर है। इसके लिए सभी प्लेटफार्म इसे रोकने की कोशिश कर रही है। इसके लिए व्हाट्सएप ने एक ठोस कदम उठाया जिसके अंतर्गत इसी के चलते व्हाट्सएप नया उपाय अंतर्गत उपभोक्ता ज़्यादा लोगों को कोई सन्देश फॉरवर्ड नहीं कर पाएंगे।
ऐसा ठोस कदम उठाने से पहले फेसबुक एवं व्हाट्सएप ने विभिन्न विज्ञापनों के जरिये फेक न्यूज़ का फैलाना रोकने की कोशिश की थी। ये विज्ञापनों को फेक न्यूज़ से होने वाले नुक्सान के बारे में बता रहे थी। लेकिन इनका कोई ज़्यादा फायदा नहीं हो पाया था एवं इसके चलते व्हाट्सएप ने ऐसा ठोस कदम उठाने का निर्णय किया।
इसके अलावा व्हाट्सएप में पिछले साल यूजर के लिए सस्पीशियस लिंक इंडिकेटर की सुविधा भी जारी की थी जोकि यूजर को कोई भी गलत लिंक खोलने से सावधान करती थी।