अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 9/11 के हमले में पीड़ितो को याद करते संकल्प लिया है कि “वह तालिबान पर अब तक का सबसे बड़ा प्रहार करेंगे।” हाल ही में उन्होंने तालिबान के साथ शान्ति वार्ता को रद्द कर दिया था जो अफगानिस्तान में 18 वर्षों की जंग को खत्म करने के लिए की जा रही थी।
इस घातक हमले की 18 वीं वर्षगाठ के मौके पर पेंटागन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने अमेरिका पर दोबारा हमले करने की कोशिश में आतंकवादियों को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि “वे सोचते हैं 9/11 हमले का इस्तेमाल अपनी ताकत को दिखाने के लिए करेंगे लेकिन वह असल में अपनी कमजोरियों की नुमाइश का रहे हैं।”
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ट्रम्प ने कहा कि “अगर आतंकवादी अमेरिका पर दोबारा हमला करते हैं तो हमारे सैनिक वहां तक जायेंगे जहां वे छुपे बैठे होंगे और बल का इस्तेमाल करेंगे, ऐसी ताकत जो अमेरिका ने पहले कभी भी इस्तेमाल नही की होगी। बीते चार दिनों में हमने अपने दुश्मनों पर पहले से कई ज्यादा कड़ा प्रहार किया है। यह बरक़रार रहेगा।”
तालिबान ने बीते हफ्ते काबुल में एक विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी जिसमे एक अमेरिकी सैनिक की भी मौत हो गयी थी। और इसके बाद राष्ट्रपति ने तालिबान के साथ शान्ति वार्ता और डेविड कैंप में गुप्त बैठक को रद्द कर दिया था।
भविष्य में ऐसे गुस्ताखी न करने की चेतावनी देते हुए ट्रम्प ने कहा कि “मैं परमाणु ताकत के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ। जो भी उनके साथ होगा उन्हें ऐसा पहले कभी नहीं देखा होगा।” तालिबान के साथ वार्ता रद्द करने के बाबत ट्रम्प ने बताया कि हमारे बीच शान्ति वार्ता तय थी। जब मुझे पता लगा कि 11 अन्य मासूम लोगो के साथ एक अमेरिकी महान सैनिक की मूत हो गयी है तो मैंने वार्ता को रद्द कर दिया।
उन्होंने कहा कि “इन बीते 18 वर्षों में अमेरिकी नागरिको के जहन में देशभक्ति अधिक मज़बूत और दृढ हुई है। हमले के दौरान भी अमेरिका की ताकत का गवाह समस्त विश्व है।”