अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अफगानिस्तान में भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लाइब्रेरी का निर्माण करने का मखौल उदय और कहा कि इसका अफगानिस्तान में कोई इस्तेमाल नहीं करेगा। डोनाल्ड ट्रम्प ने अफगानिस्तान में भारतीय मदद का मुद्दा कैबिनेट की मीटिंग के दौरान उठाया और अफगानिस्तान में अमेरिका के निवेश कम करने का बचाव किया था।
लाइब्रेरी का इस्तेमाल कौन करेगा?
डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि वह नरेन्द्र मोदी के साथ थे, “भारतीय प्रधानमन्त्री ने निरंतर अफगानिस्तान में एक लाइब्रेरी के निर्माण की बात मुझसे कही थी। हमने पांच घंटे इस पर चर्चा करने में व्यतीत किये थे और मुझे लाइब्रेरी के लिए धन्यवाद कहना पड़ा था। मुझे नहीं पता अफगानिस्तान ने इस लाइब्रेरी का इस्तेमाल कौन करेगा।”
अलबत्ता यह अस्पष्ट है कि डोनाल्ड ट्रम्प किस प्रोजेक्ट को लेकर यह बात कह रहे थे, लेकिन भारत ने अफगानिस्तान को 3 अरब दोल्ल्र्की सहायता राशि मुहैया करने का वादा किया था। भारत ने यह निर्णय 11 सितम्बर, 2001 के हमले के बाद अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में दाखिल हुई थी, तब लिया था।
भारत का वादा
इस प्रोजक्ट में काबुल में स्थित एक हाई स्कूल का दोबारा निर्माण और प्रतिवर्ष 1000 अफगानी छात्रों को भारत में स्कालरशिप है। साल 2015 में अफगान संसद का भारत द्वारा दोबारा निर्माण के उद्धघाटन के वक्त नरेन्द्र मोदी ने अफगान के युवाओं को आधुनिक शिक्षा से सशक्त और प्रोफेशनल स्किल के कार्यक्रम का प्रचार करने का वादा किया था
अफगानिस्तान में अमेरिकी अभियान में भारत सबसे उत्साही देशों में से एक था, क्योंकि तालिबान के चरमपंथी भारत विरोधी अभियान थे। अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को पछाड़ने का कार्य पाकिस्तान करता रहा है, पाकिस्तान की खुफिया विभाग के साथ तालिबान के संपर्क रहे हैं ताकि भारत की रणनीति को मात दी जा सके।
डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते माह सीरिया से 2000 सैनिक वापस बुलाने का आदेश दिया था, साथ ही अफगानिस्तान में तैनात 14000 सैनिकों में से आधों को वापस वापस बुलाने पर विचार किया जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति अफगानिस्तान में अपने खर्च को कम करना चाहते हैं।