तालिबान और अफगानिस्तान के मध्य जंग अभी जारी है, लेकिन शान्ति की पहल के लिए अफगान सरकार ने एक शांति टीम को संयुक्त अरब अमीरात के लिए रवाना कर दिया है। अफगानिस्तान के 17 सालों के युद्ध के अंत के लिए अबू धाबी में एक दिन पूर्व ही अमेरिकी और तालिबानी प्रतिनिधियों ने बातचीत की थी।
तालिबान का बातचीत से इनकार
अफगानिस्तान शांति टीम का नेतृत्व वरिष्ठ वार्ताकार अब्दुल सलाम रहीमी कर रहे हैं, जिनकी शांति टीम अबू दाभी पंहुच चुकी है। तालिबान अफगान सरकार से सीधे बातचीत के लिए इनकार करता है, उसके मुताबिक अफगानिस्तान की सरकार अमेरिका के हाथो की कटपुतली है और इसलिए तालिबना अमेरिका के साथ बातचीत करने को प्राथमिकता देता है।
अफगान राष्ट्रपति गनी ने नवम्बर में 12 लोगों की एक टीम का चयन किया था, ताकि तालिबान को संघर्ष ख़त्म कर बातचीत के लिए राज़ी किया जा सके। हालांकि तालिबान ने इस बैठक के बाबत कोई सूचना नहीं दी है। तालिबान ने सोमवार को अफगान सरकार के साथ बातचीत ने करने की अपनी प्रतिज्ञा को दोहराया था।
तालिबान की मुलाकात
चरमपंथियों ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि वह सोमवार को अमेरिकी विशेष राजदूत जलमय खलीलजाद से मुलाकात करेंगे। मंगलवार को इस चर्चा को जारी रखते हुए पाकिस्तान, सऊदी अरब और यूएई के अधिकारियों के साथ भी शांति वार्ता के लिए मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा कि इस बैठक के दौरान तालिबान अफगानिस्तान की सरजमीं से विदेशी बलों को बाहर निकालने की मांग रखेंगे।
साल 1996-2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार रही थी। केवल सऊदी अरब, यूएई और पाकिस्तान ने तालिबान की सरकार को मान्यता दी थी। अमेरिका ने ज़लमय खलीलजाद और तालिबान के मध्य बैठक की कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
अमेरिका की शांति के लिए पहल
सोमवार को वांशिगटन ने कहा कि अफगानिस्तान में युद्ध के अंत के लिए यूएई में मुलाकात जारी है। अधिकारीयों के मुताबिक अमेरिका और तालिबान के प्रतिनिधि इस बैठक से पूर्व दो बार क़तर में मुलाकात कर चुके हैं लेकिन यह पहली बार है, जब अमेरिका और तालिबान ने दोहा के बाहर बातचीत की है। दोहा में विद्रोही समूह का विभाग है।
ज़लमय खलीलजाद ने कहा कि वह अफगानिस्तान में 20 अप्रैल राष्ट्रपति चुनावों से पूर्व समझौते तक पहुंचना चाहते हैं। इस माह के शुरुआत में खलीलजाद ने पाकिस्तान में प्रधानमन्त्री इमरान खान के साथ मुलाकात की थी और पाकिस्तान से तालिबान को वार्ता के लिए राज़ी करने को कहा था।