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    नरेन्द्र मोदी बैंगलोर

    कमजोर जीएसटी कलेक्शन तथा वित्तीय घाटे को देखते हुए केंद्र सरकार परेशान हो उठी है। बुधवार को जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, मोदी सरकार मार्च 2017-18 के वित्तीय साल में 50,000 करोड़ रुपए उधार लेने की तैयारी कर रही है।

    आपको जानकारी के लिए बतादें कि मोदी सरकार द्वारा लिए जाने वाले इस ऋण से राजकोषीय घाटे में और ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। बयान में इस बात का उल्लेख किया गया है कि सरकार दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व जुटाएगी।

    इसके अलावा यह भी कहा गया है कि मार्च के अंत तक 86,203 करोड़ रुपए के वर्तमान राजस्व संग्रह से सरकार टी बिलों (ट्रेजरी बिल) को 25,006 करोड़ रुपए तक कम कर देगी। सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ इस उधार कार्यक्रम की समीक्षा की।

    बयान में आगे यह भी कहा गया है कि सरकार मौजूदा महीने से लेकर मार्च 2018 तक कोई अतिरिक्त कर्जा (इस दौरान ट्रेजरी बिल 61,203 करोड़ रुपए और अतिरिक्त जी-सेक उधारी 50,000 करोड़ रुपए होगी) नहीं लेगी।

    इससे पहले वित्त मंत्री अरूण जेटली ने साल 2017-18 में 5.8 लाख करोड़ रुपए की बॉन्ड बिक्री के बदौलत राजकोषीय घाटे को कम करने का अनुमान लगाया था। इस प्रकार वित्तीय वर्ष 2017-18 में 3.2 प्रतिशत वित्तीय घाटे के टारगेट से चूकने की आशंकाएं बढ़ गई हैं।

    जुलाई महीने में जीएसटी लागू करने के बाद तथा दूसरी छमाही में 200 से अधिक वस्तुओं को 28 फीसदी जीएसटी स्लैब से हटाने के बावजूद जीएसटी कलेक्शन में गिरावट जारी है। नंवबर महीने में जीएसटी कलेक्शन घटकर मात्र 80,808 करोड़ रुपए हो गया जबकि अक्टूबर में यही आंकड़ा 83 हजार करोड़ रूपए पर था।