उत्तर प्रदेश सरकार ने इस साल अलाहाबाद के संगम शहर में होने वाले कुम्भ मेले के लिए कुल 4200 करोड़ रूपए आवंटित किये हैं। यह मूल्य 2013 में आयोजित कुम्भ मेले से लगभग तीन गुना ज्यादा है जो इस बार के महा कुम्भ को सबसे ज्यादा महंगा बनाता है।
वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने की घोषणा :
आवंटन से सम्बंधित घोषणा वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल द्वारा की गयी। उन्होंने कहा “यूपी सरकार ने 2019 कुंभ मेले के लिए 4,200 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। पिछली राज्य सरकार ने 2013 में आयोजित महाकुंभ के लिए लगभग 1,300 करोड़ रुपये खर्च किए थे।” उन्होंने यह भी कहा “राज्य सरकार के अलावा भी कई संस्थानों ने इस मेले के लिए कीमत आवंटित की है।”
कुम्भ मेले के बारे में जानकारी :
कुम्भ मेला हिन्दू की पौराणिक कथाओं पर आधारित है। यह पूरी दुनिया में सबसे बड़ी सार्वजनिक सभा और सामूहिक कार्य है। अर्द्ध कुंभ हर छह साल में आयोजित किया जाता है, जबकि कुंभ मेला 12 साल बाद आता है। इसका आयोजन गंगा के तट पर होता है। गंगा नदी को सबसे पवित्र माना जाता है एवं यह भी माना जाता है की यदि कुम्भ के समय गंगा में स्नान किया जाए तो स्नान करने वाले के सारे पाप धुल जाते हैं। अतः हर साल करोड़ों की संख्या में लोग यहाँ पधारते हैं।
स्नान की छः पवित्र तिथि:
पौराणिक कथाओं के अनुसार 48 दिनों में कुल छः तिथियां स्नान करने के लिए सबसे पवित्र होती हैं। ये मकर संक्रांति (15 जनवरी), पौष पूर्णिमा (21 जनवरी), मौनी अमावस्या (4 फरवरी), बसंत पंचमी (10 फरवरी), माघी पूर्णिमा (19 फरवरी) और महाशिवरात्रि (4 मार्च) हैं।
योगी सरकार ने बदला नाम :
कुम्भ मेले के दो प्रकार होते हैं: अर्ध कुम्भ एवं कुम्भ। अर्ध कुम्भ का हर छः साल में आयोजन किया जाता है एवं कुम्भ का हर 12 साल में एक बार किया जाता है। योगी सरकार ने हाल ही में अर्ध कुम्भ का नाम बदलकर कुम्भ रख दिया है एवं कुम्भ का नाम बदलकर महा कुम्भ कर दिया है।