सऊदी अरब को दुनिया में एकमात्र ऐसा देश माना जाता है जहां पर काफी कठोर नियम व कानून बने होते है, खासकर महिलाओं के लिए। जब से मोहम्मद बिन सलमान सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस बने है तब से ही सऊदी अरब जैसे रूढ़िवादी देश के नियमों में शिथिलता दी गई है।
क्राउन प्रिंस ने पिछले कुछ महीनों में ऐसे निर्णय लिए है जो कि सऊदी अरब में सामाजिक परिवर्तन को दिखाते है। इसी क्रम में सऊदी अरब प्रशासन ने सार्वजनिक सिनेमाघरों पर प्रतिबंध हटाने की घोषणा की है। ये प्रतिबंध कई दशकों से जारी था। इस प्रतिबंध के हटने के बाद से ही अब सऊदी अरब के नागरिक सिनेमाघरों में फिल्म देखने जा सकते है।
सऊदी अरब सरकार ने घोषणा की है कि वह सिनेमा के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया को शुरू कर देगी। संभावना जताई जा रही है कि पहली फिल्म सिनेमा में अगले साल मार्च 2018 में प्रदर्शित होगी। सरकार के इस निर्णय से फिल्म उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
सऊदी अरब सरकार का यह निर्णय व्यापक सुधार योजना के भाग के रूप में मनोरंजन को बढ़ावा देने वाला समझा जा रहा है। सऊदी अरब के संस्कृति और सूचना मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि करीब 37 साल से अधिक समय में पहली बार साल 2018 में व्यावसायिक सिनेमाघरों को संचालित करने की अनुमति दी जाएगी।
साल 1980 में लगाया था सिनेमा पर प्रतिबंध
गौरतलब है कि साल 1980 से सऊदी अरब में कट्टरपंथियों ने सिनेमा को सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के रूप में खतरनाक बताया था।
अब सिनेमा को इस तरह से बनाया जा सकता है कि परिवार लोगों के लिए इसमें अलग से सेक्शन बना दिया जाए या फिर अधिकांश सार्वजनिक स्थानों की तरह सिनेमाघरों को लिंग के आधार पर विभाजित किया जाए।
सऊदी अरब फिल्म निर्माताओं ने लंबे समय से तर्क दिया है कि सिनेमाघरों पर प्रतिबंध यू-ट्यूब के युग में जायज नहीं है। सऊदी अरब प्रशासन ने कई प्रतिबंधों को हटाया है और नियमों में शिथिलता दी है। ये सब क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की सोच की वजह से ही है।