भारत की मायानगरी के भव्य ताज पैलेस में आतंकी हमले को दस वर्ष बीत चुके हैं। साल 2008 में मुंबई हमले में आतंकियों ने छह अमेरिकियों सहित 166 लोगों की हत्या कर दी थी। पाकिस्तान में इन मृतकों को न्याय दिलाने में पाकिस्तान के हीलहवाली रवैये की भारत ने आलोचना की है।
विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि 26/11 के आतंकी आज भी पाकिस्तान की सड़कों पर खुलेआम घूम रहे हैं। इस आतंकी हमले को पाकिस्तान की योजना पाकिस्तान में बनायीं गयी और वहीँ से इसे अमल में लाया गया था। उन्होंने कहा कि हम एक बार फिर पाकिस्तानी सरकार से अपने दो टूक रवैये को छोड़ने और इस हमले के अपराधियों को सज़ा दिलाने की मांग करते हैं।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि पाकिस्तान को यूएन सुरक्षा परिषद् से किये वादों को निभाना चाहिए और पाकिस्तान में पनप रहे 26/11 के आतंकी समूह लश्कर ए तैयबा और उसके आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। 26 नवम्बर 2008 को लश्कर ए तैयबा के 10 आतंकी जलमार्ग के रास्ते कराची से मुंबई आये और इस आतंकी हमले को अंजाम दिया, जिसमे 166 लोगों को जान गंवानी पड़ी और 300 से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए थे।
मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और ज़किउर रहमान लाखवी थे। 10 में से नौ आतंकियों को पुलिस ने मार गिराया था लेकिन अजमल कसाब को अदालत ने साल 2012 में फांसी की सज़ा सुनाई थी। इस जघन्य अपराध के 10 वर्षों के बाद भी पीड़ितों का गम अभी भी कम नहीं हुआ है और दुनिया के 15 देशों के 166 मृतकों के परिवारजन अभी भी न्याय की आस में हैं।
केंद्र सरकार ने पीड़ितों और शहीद सैनिको के परिवारजनों को न्याय दिलाने के हर संभव प्रयास का वादा किया हैं। 26/11 मुंबई हमले में जन अभियोक्ता और वरिष्ठ वकील उज्जवल निगम ने भी पाकिस्तान को इस आतंकी हमले के अपराधियों को सुरक्षा प्रदान करने की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सरकार अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में देरी बरतने की जिम्मेदार है।
मुंबई हमले के बाद हफीज सईद को उसके घर में नज़रबंद करके रखा था लेकिन अदालत ने साल 2009 में उसे आज़ाद कर दिया था। हफीज सईद की आतंकी गतिविधियों की सूचना देने पर अमेरिका ने 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा है।