भारत पहली बार यूनेस्को की विश्व विरासत समिति की मेजबानी करने के लिए तैयार है। यह समिति दुनिया के सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत की रक्षा के लिए काम करती है। यह घोषणा यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी शर्मा द्वारा की गई, जो देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।
यह निर्णय यूनेस्को के विश्व विरासत समिति के 19वें असाधारण सत्र में लिया गया था। समिति का 46वां सत्र 21 से 31 जुलाई 2024 तक नई दिल्ली में होगा।
यूनेस्को के विश्व विरासत केंद्र के निदेशक लाज़ारे एलोउंडौ असोमो ने एक पत्र में इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा, “मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत सरकार के प्रस्ताव के बाद और यूनेस्को के महानिदेशक के परामर्श से, विश्व विरासत समिति का 46वां सत्र 21 से 31 जुलाई 2024 तक नई दिल्ली में होगा।”
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यह भारत के लिए एक गौरव का क्षण है। यह पहली बार है जब कोई देश समिति की मेजबानी करेगा। इससे भारत को अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने का एक अनूठा अवसर मिलेगा।
समिति के सत्र के दौरान, सदस्य दुनिया भर के विभिन्न सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थलों के संरक्षण पर चर्चा करेंगे। वे यह भी तय करेंगे कि किन नए स्थलों को विश्व विरासत सूची में शामिल किया जाना चाहिए।
भारत में कई विश्व विरासत स्थल हैं, जिनमें आगरा का ताजमहल, दिल्ली का लाल किला और खजुराहो के मंदिर शामिल हैं। समिति के सत्र के दौरान इन स्थलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
विश्व धरोहर समिति, जो 21 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों से बनी है, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की प्रतिष्ठित सूची में संभावित नए परिवर्धन के मूल्यांकन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह चुनौतियों का सामना कर रहे मौजूदा स्थलों के लिए संरक्षण उपायों के कार्यान्वयन की निगरानी भी करता है।