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    HOWRAH, INDIA - FEBRUARY 26: Porters in front of a Electric rail engine at Howrah Station on February 26, 2015 in Howrah, India. (Photo by Indranil Bhoumik/Mint via Getty Images)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के आम चुनाव के दौरान जहां हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा किया था, वहीं दूसरी ओर सार्वजनिक क्षेत्र में बहाली की संख्या घटती जा रही है। आलम यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े नियोक्ता भारतीय रेल में ग्रुप डी में पिछले 10 सालों के दौरान बीते साल सबसे कम 4,766 नौजवानों को नौकरियां मिल पाई हैं। इस बात का खुलासा आरटीआई के जरिए प्राप्त जानकारी से हुआ है।

    मध्य प्रदेश के नीमच जिले के सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत भारतीय रेल के ग्रुप डी (लेवल-एक) की नौकरियों को लेकर जानकारी मांगी थी। उन्होंने जानना चाहा था कि बीते 10 सालों में इस वर्ग में कितने युवाओं को नौकरी मिली है। उन्हें रेल मंत्रालय द्वारा एक जनवरी को मुहैया कराई गई जानकारी से पता चलता है कि वर्ष 2008-2009 से वर्ष 2018-19 के बीच सबसे कम नौकरियां बीते साल ही मिली हैं। बीते साल सिर्फ 4,766 आवेदकों को ही नौकरी मिली है।

    गौड़ ने आईएएनएस को बताया कि रेल मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2008-2009 में ग्रुप डी (लेवल-एक) वर्ग में 9,282 युवाओं को, वर्ष 2010-11 में 7,242 युवाओं और वर्ष 2011-12 में 24,280 युवाओं को नौकरी मिली। वहीं वर्ष 2012-13 में 67,885 युवाओं, वर्ष 2013-14 में 31,650 युवाओं, वर्ष 2014-15 में 31,995 युवाओं और वर्ष 2015-16 में 51,808 युवाओं को नौकरियां मिलीं। इसके विपरीत बीते तीन सालों में यह आंकड़ा लगातार गिरता गया। वर्ष 2016-17 में 6,731 युवाओं, वर्ष 2017-18 में 5,362 युवाओं और वर्ष 2018-19 में सिर्फ 4,766 युवाओं को ही नौकरी मिल सकी है।

    भारतीय रेल में बीते 10 सालों में ग्रुप डी में मिली नौकरियों का ब्यौरा बताता है कि वर्ष 2012-13 में सबसे ज्यादा 67,885 युवाओं को नौकरी मिली, वहीं सबसे कम नौकरियां वर्ष 2018-19 में मात्र 4,766 लोगों को मिल पाई हैं।

    रेलवे के जानकार बताते हैं कि युवाओं की सबसे पसंदीदा रेलवे की नौकरी में ग्रुप डी (लेवल-एक) है। इसमें 10वीं पास और आईआईटी करने वाले आवेदन कर सकते हैं। यही कारण है कि सबसे ज्यादा आवेदन भी इसी वर्ग के लिए आते हैं।

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