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लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाले साल 2019 के शुरूआती चार महीनों में विदेश दौरों पर जाने के बजाये स्थानीय मुद्दों पर फोकस करेंगे। सीनियर सरकारी अधिकारियों की माने तो नए साल के शुरूआती चार महीनों में प्रधानमंत्री का एक भी विदेश दौरा नहीं होगा।

अधिकारियों के मुताबिक़ आने वाले महीनों में कोई ख़ास बहुपक्षीय सम्मलेन नहीं होने जिसमे प्रधानमंत्री की उपस्थिति अनिवार्य हो। 2018 में प्रधानमंत्री ने 14 विदेश दौरे किये थे।

देश में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होने के साथ साथ नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी भाजपा के मुख्य चुनाव प्रचारक भी हैं। पिछले 5 वर्षों में पहली बार हालिया विधानसभा चुनाव में पार्टी को बहुत नुकसान पहुंचा। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में पार्टी को चुनावी हार झेलनी पड़ी जिसके बाद अब प्रधानमंत्री राष्ट्रीय मुद्दों पर फोकस करेंगे और चुनाव की तैयारियां करेंगे।

जनवरी 2019 में 21-23 जनवरी तक प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा।

पार्टी और सरकार को रोजगार, महंगाई और किसानों के मुद्दे पर कड़ी आलोचनाएँ झेलनी पड़ी है। इन्ही मुद्दों को हथियार बनाकर विपक्षी कांग्रेस ने हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों में भाजपा को मात दी। हालाँकि प्रधानमंत्री के चुनावी दौरों के बाद एक तरफा नज़र आ रहे राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी। इससे ये साबित हुआ कि पार्टी अपनी चुनावी रणनीति के लिए प्रधानमंत्री पर किस हद तक निर्भर है।

भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र इनमें से कुछ मुद्दों, विशेषकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देना होगा ताकि विपक्षी गठबंधन का मुकाबला कर सकें।

प्रधानमंत्री के आधिकारिक वेबसाईट के मुताबिक़ जून 2014 से अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 48 विदेश दौरे किये हैं।

27-29 दिसंबर के दौरान भूटान के प्रधानमंत्री लोटे त्शेरिंग अपने पहले आधिकारिक भारत दौरे पर आयेंगे औए वो भारतीय प्रधानमंत्री को भूटान कि यात्रा का निमंत्रण भी देंगे। भूटान के साथ ख़ास रिश्तों के मद्देनज़र भारत को उसके प्रस्ताव पर साकारात्मक प्रतिक्रिया देनी होगी।

By आदर्श कुमार

आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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