भारतीय उद्योग परिसंग(Confederation of Indian Industry) की रिपोर्ट के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय कमजोरियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे तेज़ बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनकर उभरी है। इसकी वृद्धि की यही रफ़्तार 2019 में भी जारी रहने के मजबूत आसार हैं।
क्या हैं वृद्धि के कारण :
भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के में वृद्धि के आसारों को अगले साल चुनाव के लिए वर्तमान में हो रहा विकास, सर्विस सेक्टर की बढती मांग आदि मजबूत बनाने में मदद कर रहे हैं।
CII के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा “बढती मांग की स्थिति, जीएसटी का बढ़ता परिपालन, बढ़ते निवेश से बुनियादी ढांचे में क्षमता में विस्तार, सुधार नीतियों के सकारात्मक प्रभावों को जारी रखने और विशेष रूप से सेवा क्षेत्र में 24 प्रतिशत की दर से बेहतर ऋण वृद्धि, 2019 में जीडीपी की 7.5 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि को बनाए रखेगा।”
2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था का बेहतर प्रदर्शन :
उद्योग निकाय के भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्तमान वर्ष में अवलोकन के अनुसार 2018 में तेल की बढ़ती कीमतों के कारण बाहरी कमजोरियाँ उत्पन्न होना, प्रमुख वैश्विक व्यापार भागीदारों के बीच व्यापार युद्ध एवं अमेरिका में मौद्रिक कस के बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। यही प्रदर्शन 2019 में भी चलने के आसार हैं।
ये होंगे 2019 में वृद्धि के मुख्य कारक :
कर में बढ़ोतरी :
सीआईआई ने 2019 में मजबूत GDP वृद्धि को जारी रखने के लिए साथ मुख्य कारकों की पहचान की है जिन्हें बढ़ावा देने की ज़रुरत है। प्रमुख कारकों में से एक यह है की सीआईआई को उम्मीद है की वर्ष 2019 में GST परिषद् वर्तमान में छूट वाले क्षेत्रों जैसे ईंधन, रियल एस्टेट, बिजली और शराब पर कर बढ़ाने पर विचार करेगी। यह कर संगृह बढाने में अहम योगदान देंगे।
ऋण प्रवाह में सुधार:
इसके अलावा सीआईआई ने सुझाव दिया है की सूक्ष्म, छोटे एवं मध्यम व्यवसायों के लिए ऋण उपलब्धता अभी भी मुश्किल है क्योंकि 2018 में उद्योग में ऋण प्रवाह पहली छमाही में केवल 2.3 प्रतिशत बढ़ा। इसलिए भारतीय बैंकिंग सेक्टर को ऋण प्रवाह सरल करने की ज़रुरत है।
कृषि पालिसी में सुधार:
कृषि सुधारों पर, CII ने सुझाव दिया कि कृषि उपज विपणन को मजबूत करने के लिए राज्यों को कृषि उत्पादन और पशुधन विपणन मॉडल अधिनियम लागू करना महत्वपूर्ण है, जिसे अभी तक देश के सिर्फ चार राज्यों में लागू किया गया है।