2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मिली बड़ी हार को समाजवादी पार्टी दोहराना नहीं चाहती है। इसलिए पार्टी ने आगामी आम चुनाव के लिए अभी से तैयारी में जुट गई है। इसके कार्य के लिए समाजवादी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने एक चिठ्ठी के जरिये जारी की। इस पत्र के द्वारा उन्होंने जाहिर किया है कि आगामी चुनाव में किसी भी अपराध से सम्बंधित उम्मीदवार को पार्टी टिकट नहीं देगी। चिठ्ठी के मुताबिक जिन लोगो को 2019 का आम चुनाव में समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी बनना है। तो उन्हें पार्टी की तरफ से दिए गए एक फॉर्म में अपनी पूरी जानकारी देनी होगी।
फॉर्म के साथ उस व्यक्ति को 10 हजार का शुल्क भी देना होगा। आवेदनकर्ता को अपने फरमाते में यह बताना होगा कि उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला है या नहीं। उसे समाजवादी बुलेटिन का आजीवन सदस्य होना चाहिए, समाजवादी पार्टी का सक्रिय सदस्य होना चाहिए और साथ ही साथ आवेदनकर्ता के ऊपर समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यालय अथवा किसी भी कार्यालय का कोई भी शुल्क बकाया नहीं होना चाहिए।
समजवादी पार्टी ने इसा बार अपने उम्मीदवारों को लेकर काफी सख्ती बरत रही है। इस बार में सबसे खास बात यह है कि समजवादी पार्टी ने अपने नेताओ से आवेदन के साथ साथ यह भी जानकारी माँगा है कि कही उनके खिलाफ कोई मुकदमा या कोई आपराधिक मामला दर्ज तो नहीं है। समजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह के मुताबिक यह कार्य पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के कहने पर किया जा रहा है। समाजवादी पार्टी चाहती है कि उसके सारे कार्यकर्ता और उम्मीदवार साफ़ सुथरी छवि वाले हो। उनपर कोई मुकदमा या कोई गंभीर आरोप ना हो इसलिए उनसे लिखित में जानकारी मांगी गई है। अगर देखा जाए तो समाजवादी पार्टी से लेकर तमाम पार्टिया अभी तक किसी भी दागी उम्मीदवार को टिकट देने से चुकी नहीं है। लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी पार्टी के तरफ से लिखित रूप में आपराधिक जानकारी मांगी गई हो और साथ ही 10 हजार की राशि भी जमा करने की बात पहली बार कोई पार्टी कर रही है।
जमा की जाने वाली राशि के पीछे भी अर्थ स्पष्ट है ताकि चुनाव चिंतन करने वाला उम्मीदवार जमा कर सके और पार्टी फण्ड में चुनाव के राशि भी आ सके। बहरहाल इस आदेश से चर्चा इस बात की है कि क्या वाकई समाजवादी पार्टी साफ छवि वाले कैंडिडेट्स को ही आगामी चुनाव में उतारना चाहती है या फिर अपनी गलतियों को इस कार्य के जरिए जनता के सामने अलग छवि उतरना चाहती है।
अगर देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी तक सबने दागी नेताओ को अपना उम्मीदवार बनाया है। लेकिन अब देखना है कि क्या वाकई समाजवादी पार्टी साफ़ छवि वाले उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारेगी या यह केवल कागजी ड्रामा है। अपनी छवि को दोबारा जनता के सामने पेश करने का।