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    सचिन पायलट- राहुल गांधी

    साल 2014 में लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में कांग्रेस को कड़ी शिकस्त देकर सत्ता हासिल की थी। जिसके बाद से ही कांग्रेस को ज्यादातर राज्यों में हार देखने को मिली। लेकिन गुजरात चुनावों की बात की जाए तो कांग्रेस ने अशोक गहलोत के नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन किया।

    राजस्थान उपचुनावों में भी कांग्रेस ने तीनों सीटों पर उपचुनावों में जीत हासिल कर बीजेपी को हराया। कांग्रेस को जीत दिलाने में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट की अहम भूमिका मानी जाती है। अशोक गहलोत जहां सोनिया के करीबी माने जाते है तो वहीं सचिन पायलट, राहुल के करीबी माने जाते है।

    राजनीति विश्लेषकों की माने तो कांग्रेस के लिए गुजरात व राजस्थान उपचुनावों में परिणाम संजीवनी बूटी की तरह है। अब अगले साल 2019 में लोकसभा चुनाव होने वाले है। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के चुनाव लडने की बात की जा रही है। लेकिन राजस्थान की जनता व पार्टी में अभी तक राहुल को उतना अनुभवी नहीं माना जाता है।

    राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक उत्तरी राज्यों में बीजेपी को करीब 60 सीटों का नुकसान हो सकता है। जिसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। यदि कांग्रेस 44 सीटों से आगे बढ़कर 100 से ऊपर का आकंडा प्राप्त कर लेती है तो बीजेपी के लिए जीत काफी मुश्किल होगी। एक बार फिर से केन्द्र में कांग्रेस की मजबूती बढ़ेगी।

    कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो सकते है पायलट

    लेकिन अब देखना यह है कि कांग्रेस मौजूदा परिस्थितियों का फायदा किस तरह से उठा सकती है। विभिन्न लेखकों व विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही राहुल गांधी कांग्रेस के अध्‍यक्ष बन गए है लेकिन यदि युवा नेता व पूर्व केन्द्रीय मंत्री सचिन पायलट को पार्टी का प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार घोषित कर दिया जाए तो वह सर्वश्रेष्‍ठ विकल्‍प हो सकते है। राहुल गांधी से अधिक युवा सचिन पायलट माने जाते है। राजस्थान में सचिन को काफी बहुमत प्राप्त है। वे देश के पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री भी रह चुके है।

    स्विंग वोटर कांग्रेस के लिए फायदेमंद हो सकते है। नए वोटरों की संख्या करीब 10 लाख बताई जा रही है। जो किधर भी वोटिंग कर सकते है। ये वोटर की सत्ता दिलाने में मददगार होते है। पीएम मोदी को भी इन वोटरो की वजह से जीत मिली थी इसलिए ही उन्हे प्रधानमंत्री प्रत्याशी बनाया गया था।

    नए वोटरों को रिझाने के लिए कांग्रेस को तत्काल पीएम पद के उम्मीदवार की घोषणा कर देनी चाहिए। इसलिए पार्टी को युवा नेता के तौर पर सचिन पायलट को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कांग्रेस की तरफ से बना देना चाहिए।

    पायलट को देश के कई राज्यों में किया जाता है पसंद

    राहुल गांधी जहां 47 साल के है वहीं सचिन पायलट 39 साल के ही है। प्रदेश में पायलट का काफी जनाधार है। आम लोगों के दिल में राहुल की तुलना मे सचिन ज्यादा बसे हुए है। सचिन पायलट को राजस्थान में ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी पसंद किया जाता है। वे कांग्रेस पार्टी के पूर्व केन्द्रीय मंत्री व स्टार प्रचारक भी रह चुके है।

    यदि कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के प्रत्‍याशी के रूप में सचिन पायलट का समर्थन करते हैं तो उनका कद भी स्‍वाभाविक ढंग से बढ़ेगा। इस तरह राहुल और सचिन की जोड़ी कमाल कर सकती है।

    जो आलोचक कांग्रेस को वंशवाद करने के लिए आरोप लगाते रहते है उन्हें भी राहुल कड़ा जवाब दे सकते है। सचिन को पीएम पद के लिए आगे करके कांग्रेस दिखा सकती है कि वो वंशवाद को छोड़कर बाहरी लोगों को भी नेतृत्व प्रदान करती है।

    कांग्रेस को प्रस्तुत करना होगा साल 2019 का विजन

    कांग्रेस को अपना वैकल्पिक मॉडल पेश करना होगा। बीजेपी की आलोचना करने के अलावा केन्द्र सरकार की कमजोर नीतियों पर प्रहार करना होगा। कांग्रेस को जनता को बताना होगा कि वो देश में किन-किन योजनाओं को शुरू करेंगे और देश के विकास में सहायता प्रदान करेंगे। भ्रष्टाचार व कालेधन को रोकने के लिए भी पार्टी को अपना विजन प्रस्तुत करना होगा।

    कांग्रेस पार्टी के लिए जनता में ऐसी छवि बनी हुई है कि वो हिंदू वोटो की जगह मुस्लिम वोटो का साथ देती है। अल्पसंख्यक वोटो को साधने के लिए कांग्रेस अपने हिंदू वोटो की अवहेलना करती है।

    लेकिन अब राहुल गांधी भी चुनावी रैलियो में मंदिर जाकर प्रार्थना करते है और हिंदू वोट को साधने का प्रयास कर रहा है। कांग्रेस को जीतने के लिए अन्य दलों के साथ गठबंधन करने की आवश्यकता है। कांग्रेस को अब साफ-सुधरी वाले नेताओं को अपने साथ लाना चाहिए।