लगभग पूरे देश में फैले हुए कृषि संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने किसानों का वित्तीय बोझ कम करने के लिए सब्सिडी के बजाय उन्हें सीधा नकद देने की योजना बना रही है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सभी कृषि सब्सिडी को मिला कर, किसानों को नकद का भुगतान करने की योजना बना रही है।
सूत्रों के मुताबिक, इस प्रोग्राम के रोल-आउट के बाद, सालाना अतिरिक्त दाम 700 बिलियन तक आने की उम्मीद है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 31 मार्च को खत्म होने वाले साल के बजट में कृषि सब्सिडी के लिए 701 बिलियन रूपये की कीमत रखी थी।
नोट करने वाली बात ये है कि केंद्र पहले ही वार्षिक बजट घाटा लक्ष्य पार कर चुकी है और वर्तमान साल में ज्यादा खर्च करने की स्थिति में नहीं है जो भी राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों में चुनावों की हार के बाद माल और सेवाओं पर कुछ कर राजस्व माफ करने के बाद मिला है।
भाजपा आगामी लोक सभा चुनावों से पहले, रुष्ट हुए किसानों को मनाने में लग गया है। फसलों के गिरते दाम, बढ़ती इनपुट लागत के कारण हजारो किसानों ने सड़को पर उतर कर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उनकी मुख्य मांग थी-ऋण मांफी।
ऊपर से, पिछले महीने तीनो राज्यों में अपने कदम जमा चुकी कांग्रेस ने किसानों का क़र्ज़ मांग करने के बाद, केंद्र सरकार के ऊपर और दबाव बना दिया है।