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    आधार कार्ड1

    जिस समय आधार कार्ड लॉन्च किया गया था, उस वक्त भी देश में खूब हो हल्ला मचा था। आज की तारीख में भी आधार को सुप्रीम-कोर्ट में तारीख पर तारीख का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट क्या निर्णय देता है, यह तो वक्त ही तय करेगा। बावजूद इसके आधार कार्ड आज की तारीख में हमारे जीवन का आधार बनता दिखाई दे रहा है।

    साल 2017 में आधार नंबर को विभिन्न सरकारी योजनाओं से जोड़ने को लेकर कई विवादों और भ्रम का सामना करना पड़ा। दरअसल सरकार द्वारा कई जन कल्याणकारी योजनाओं के साथ बैंक अकांउट को आधार से लिंक कराने की अनिवार्यता का आदेश जारी किया गया।

    यहीं नहीं पैन-आधार लिंक तथा मोबाइल सिम-आधार लिंक अनिवार्यता निर्देश के बाद कई याचिकाएं सुप्रीमकोर्ट में दायर की जा चुकी हैं। आपको बता दें कि आधार अनिवार्यता को लेकर सुप्रीमकोर्ट में कई तारीखें भी पड़ चुकी हैं, तथा फैसला आने तक सुनवाई अभी भी जारी है।

    आधार अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रूख

    फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने आधार लिंक अनिवार्यता पर रोक लगाने से इनकार कर रखा है। परिणामस्वरूप सरकार भी विभिन्न सेवाओं के लिए आधार ​अनिवार्यता बढ़ाती ही जा रही है।

    आपको बता दें कि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने अटॉर्नी जनरल के के. वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न सेवाओं और योजनाओं के साथ आधार जोड़ने की समय सीमा 31 दिसंबर 2017 से बढ़ाकर 31 मार्च 2018 तक करने के लिए तैयार है।

    लिहाजा कोर्ट ने केंद्र सरकार की बात मानते हुए पैन कार्ड, बैंक अकाउंट, मोबाइल फोन नंबर आदि सेवाओं के लिए आधार से लिंक कराने की समयावधि बढ़ाकर 31 मार्च 2018 कर दिया है।

    यदि सुप्रीम कोर्ट सरकार के आधार अनिवार्यता लागू करने पर तैयार हो जाती है, इस परिस्थिति में आधार सेवा भारत का सबसे महत्वपूर्ण पहचान प्रमाण पत्र बन जाएगा।

    आधार अनिवार्यता के फायदे और नुकसान

    हांलाकि आधार सेवा से सरकार की कई योजनाएं सफलता की ओर अग्रसर होंगी, लेकिन दूसरी ओर देश की अधिकांश भोलीभाली जनता साइबर क्राइम का शिकार हो सकती है। फिलहाल सरकार के पास अपने डेटा प्रणाली को हैकर्स से सुरक्षित रखने का काई ठोस उपाय नहीं है।

    चाहे जो भी देश का नागरिक डिजिटल भारत की ओर से अग्रसर हो जाएगा। देश का हर नागरिक सरकार से आॅनलाइन जुड़ा होगा। प्रत्येक भारतीय नागरिक की डिजिटल पहचान अपने आप में एक क्रांतिकारी कदम होगा।

    आधार के जरिए कई सरकारी योजना में पारदर्शिता देखने को मिलेगी, तथा एक हद तक भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। सरकार आधार की गोपनीयता बरकरार रखते हुए इसका इस्तेमाल भ्रष्टाचार की जांच सहित कई उद्देश्यों के लिए एक साथ कर सकती है।

    आधार को लेकर यदि कोर्ट सरकार के खिलाफ फैसला दे?

    यदि सुप्रीम कोर्ट सरकारी सेवाओं के लिए आधार अनिवार्यता की अनुमति ना दें तब भी डिजिटल इंडिया के सपने का अंत नहीं होने वाला है। सरकार अपनी योजनाओं में पारदर्शिता लाने के लिए नए तरीके ढूंढ़ सकती है। हांलाकि उम्मीद जताई जा रही है कि कोर्ट कई सेवाओं में आधार अनिवार्यता की अनुमति दे सकती है।

    जून महीने में कोर्ट ने आयकर अधिनियम की धारा 139एए को बरकरार रखा था। कोर्ट ने उस दौरान कहा था कि आयकर में आधार अनिवार्यता प्रावधान किसी प्रकार से समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन अथवा किसी के पेशे व व्यापार पर कोई दुष्प्रभाव नहीं डालता है। इस प्रकार साल 2018 में आधार ना केवल केंद्रीय शासन का आधार होगा बल्कि आपके जीवन का भी आधार होगा।

    अब निजी क्षेत्रों में भी आधार की मांग

    सार्वजनिक क्षेत्रों के अलावा अब निजी क्षेत्र में आधार विवरण मांगना शुरू कर दिया है। निजी कंपनियां नौकरी के दौरान उम्मीदवारों से प्रत्यक्ष रूप से आधार की मांग कर रही हैं, ताकि भर्ती प्रक्रिया को आसान और विश्वसनीय बनाया जा सके।

    बीच में यह खबर भी जोरों पर रही कि सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी फेसबुक अपने यूजर्स के अकांउट्स से आधार लिंक करने को कह रही है। हांलाकि इस खबर की अभी तक सटीक पुष्टि नहीं हो पाई है। फेसबुक ही नहीं आॅनलाइन रिटेलर अमेज़ॅन ने भी अपने ग्राहकों से आधार की जानकारी मांगी ताकि पैकेजों को ट्रैक करने में आसानी हो सके।

    यहीं नहीं बेगलुरू स्थित कैब कंपनी जूमकार ने कहा है कि वह बिना आधार पहचान पत्र के कैब बुकिंग स्वीकार नहीं करेगी।  इस तरह की प्रवृत्ति में बढ़ोतरी होना लाजिमी है। क्योंकि यह प्रक्रिया किसी के पहचान को डिजिटल तरीक से सत्यापित करने को आसान बना देती है। उम्मीद है साल 2018 में अधिकांश निजी कंपनियां अपनी आॅफिशियल प्रक्रिया में आधार का इस्तेमाल करती नजर आएंगी।