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    डिजिटल पेमेंट

    सरकार ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए एक और बड़े कदम की घोषणा की है। सरकार ने कहा है कि अब डेबिट कार्ड या अन्य डिजिटल भुगतान जैसे भीम युपीआई ऐप आदि से भुगतान करने पर ग्राहकों को छुट दी जायेगी। भुगतान के समय कटने वाला सर्विस चार्ज यानी एमडीआर अब सरकार देगी। आप को बता दें कि अबतक ग्राहकों को किसी भी बैंक कार्ड के जरिए ट्रांजैक्शन करने पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) खुद ही वहन करना पड़ रहा था।

    सरकार ने घोषणा की है कि सभी डेबिट कार्ड, भीम एप तथा यूपीआई के जरिए 2000 रूपए तक लेनदेन करने पर एमडीआर शुल्क का वहन सरकार स्वयं करेगी। सरकार की यह स्कीम एक जनवरी 2018 से अगले दो सालों तक ​के लिए मान्य है। कानून और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए कैबिनेट ने इस स्कीम को मंजूरी दी है।

    2000 रूपए या इससे कम डिजिटल ट्रांजैक्शन की हिस्सेदारी करीब 65 फीसदी है, लेकिन इनकी डिजिटल पेमेंट वैल्यू मात्र 15-20% ही है। ऐसे में सरकार ने निर्णय लिया है कि ​डेबिट कार्ड के जरिए 2000 रूपए तक लेनदेन करने पर जनवरी 2018 से कम से कम दो साल तक कोई ट्रांजैक्शन जार्च नहीं कटेगा। क्योंकि सरकार इस राशि की प्रतिपूर्ति खुद करेगी।

    सरकार के इस कदम ना केवल डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेगा बल्कि कारोबारियों और कस्टमर्स पर भार भी कम पड़ेगा। क्योंकि पहले ज्यादातर कारोबारी एमडीआर की वसूली ग्राहकों से ही कर लेते थे। अगले 2 साल तक एमडीआर फ्री कर देने से सरकार को लगभग 2500 करोड़ रूपए का खर्च आएगा।

    रविशंकर प्रसाद ने कहा, एक अनुमान के अनुसार 2000 रूपए तक के लेनदेन के संबंध में वित्तीय वर्ष 2018-19 में कुल 1050 करोड़ रूपए तथा वित्तीय साल 2019-20 में 1,462 करोड़ रुपए की एमडीआर राशि की प्रतिपूर्ति सरकार देश के विभिन्न बैंकों को करेगी।
    उम्मीद है सरकार के इस कदम से अगले 2 सालों में डेबिट कार्ड के जरिए पेमेंट में काफी तेजी आएगी।

    आपको बता दें कि इस वित्तीय साल के अंत में डिजिटल कार्ड के जरिए 4.38 लाख करोड़ रुपए मूल्य के कुल 3.8 लाख लेनदेन किए गए। दूसरी ओर सरकार ने नेगोएजियबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट में संशोधन करने की मंजूरी दे दी है।

    इस संशोधन के बाद अब बांउस या डिसआनर्ड चेक जारी करने वाले अनैतिक तत्वों को अंतरिम मुआवजे का भुगतान करना होगा, इससे बाउंस या डिसआनर्ड चेक के शिकार लोगों को राहत मिलेगी। संसद सत्र के चलते रविशंकर प्रसाद ने नेगोएसेबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट में किए गए संशोधन के बारे में ज्यादा जानकारी देने से इनकार किया है।