देश के बड़े घोटाले में सुमार 2जी घोटाले में कोर्ट ने आज फैसला सुनाया है। पटियाला कोर्ट ने इस बड़े घोटाले के सन्दर्भ में फैसला सुनाते हुए पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा, द्रमुक सांसद कनिमोझी समेत सभी दोषियों को बरी कर दिया है। यह घोटाला यूपीए की सरकार में हुआ था। सात साल पहले हुए इस घोटाले में कुल 17 लोगो के खिलाफ मामला दर्ज था। इस घोटाले में कुल 1 लाख 76 हजार रूपए का घपला बताया गया था।
कोर्ट के फैसले के बाद वकील ने बाहर आकर बताया कि दोषियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है और ना ही दो पक्षों के बीच पैसे लेनदेन का भी कोई सबूत नहीं है। वकील ने कहा कि जज ने सिर्फ एक लाइन में फैसला पढ़ा और दोषियों के खिलाफ कोई सबुत पर्याप्त नहीं होने के कारण सभी दोषियों को बरी कर दिया।
क्या हुआ कोर्ट में
इस मामले में सुबह 10:30 सुनवाई शुरू हुई लेकिन कोर्ट में भीड़ के कारण आरोपी अंदर नहीं आ पाए थे। जिसके कारण कारवाई को जज ने थोड़ी देर के लिए टाल दिया था। इसके बाद आरोपियों के अंदर आने के बाद 11 बजे कार्यवाई शुरू हुई। कार्यवाई शुरू होते ही जज ने सिर्फ फैसले पर एक नजर डाला और कोई पुख्ता सबुत नहीं है, कहते हुए कहा कि दोषियों को बरी किया जाता है।
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में जुड़े मामले में कोर्ट ने विशेष विचार के बाद गुरूवार को राजा, कनिमोझी और अन्य सहित सभी आरोपियों को उसके सामने हाजिर होने का निर्देश दिया था। इस मामले में सुनवाई छह साल पहले शुरू हुई थी जब अदालत ने 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किये थे।
2जी स्पेक्ट्रप में कब क्या हुआ
16 मई 2007: डीएमके नेता ए राजा को दूसरी बार दूरसंचार मंत्री नियुक्त किया गया।
25 अक्तूबर 2007: केंद्र सरकार ने मोबाइल सेवाओं के लिए टू-जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की संभावनाओं को खारिज किया।
सितम्बर-अक्तूबर 2008: दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम लाइसेंस दिए गए।
15 नवंबर 2008: केंद्रीय सतर्कता आयोग ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में खामियां पाईं और दूरसंचार मंत्रालय के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की।
21 अक्तूबर 2009: सीबीआई ने टू-जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के लिए मामला दर्ज किया।
22 अक्तूबर 2009: मामले के सिलसिले में सीबीआई ने दूरसंचार विभाग के कार्यालयों पर छापेमारी की।
17 अक्तूबर 2010: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने दूसरी पीढ़ी के मोबाइल फोन का लाइसेंस देने में दूरसंचार विभाग को कई नीतियों के उल्लंघन का दोषी पाया।
नवंबर 2010: दूरसंचार मंत्री ए राजा को हटाने की मांग को लेकर विपक्ष ने संसद की कार्यवाही ठप की।
14 नवम्बर 2010: राजा ने इस्तीफा दिया।
15 नवम्बर 2010: मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।
नवम्बर 2010: टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच के लिए जेपीसी गठित करने की मांग को लेकर संसद में गतिरोध जारी रहा।
13 दिसम्बर 2010: दूरसंचार विभाग ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिवराज वी पाटिल समिति को स्पेक्ट्रम आवंटन के नियमों एवं नीतियों को देखने के लिए अधिसूचित किया। इसे दूरसंचार मंत्री को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया।
24 और 25 दिसम्बर 2010: राजा से सीबीआई ने पूछताछ की।
31 जनवरी 2011: राजा से सीबीआई ने तीसरी बार फिर पूछताछ की, एक सदस्यीय पाटिल समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।
दो फरवरी 2011: टू-जी स्पेक्ट्रम मामले में राजा, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया को सीबीआई ने गिरफ्तार किया।
लेकिन इस मामले में गुरुवार को आये फैसले ने सभी दोषियों को सबूत पर्याप्त नहीं होने के कारण बरी कर दिया है। इन आरोपियों में ए. राजा और कनिमोझी के नाम मुख्य थे।