उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमों मायावती के खिलाफ शिकायतों का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने दोनों नेताओं को नोटिस जारी किए। उन्हें चुनाव अभियान के भाषणों के दौरान सांप्रदायिक रूप से भरी हुई टिप्पणी को देखते हुए यह नोटिस चुनाव आयोग द्वारा भेजा गया।
जबकि योगी द्वारा 9 अप्रैल को मेरठ में एक भाषण के दौरान कहा था कि, अगर कांग्रेस, सपा और बसपा को अली पर भरोसा हैं तो हमें भी बजरंगली पर भरोसा हैं। वही मायावती ने 7 अप्रैल को सहारनपुर के देवबंद में एक भाषण में मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि वह अपने वोटों का विभाजन न करे।
चुनाव आयोग ने प्राथमिक जांच के बाद योगी के बयान को आदर्श आचार सहिंता का उल्लंघन माना और नोटिस जारी कर आज शाम तक जवाब दाखिल करने को कहा। बसपा सुप्रीमों को भी आज ही अपने बयान पर सफाई का मौका दिया गया हैं। आयोग ने मायावती को चुनाव कोड का उल्लंघन करने के साथ ही सेक्शन 123(3) के तहत जनप्रतिनिधि कानून 1951 के उल्लंघन का भी दोषी माना हैं। इस कानून के तहत उम्मीदवार धार्मिक आधार पर मतदान की मांग नही कर सकते न मतदाताओं को धर्म के आधार पर मतदान के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार योगी को यह दूसरा नोटिस जारी किया गया हैं। इससे पहले उन्हें मोदी की सेना कहने के लिए आयोग ने चेतावनी देते हुए भविष्य में अतिरिक्त सतर्कता बरतने की हिदायत दी थी।