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    भारत अगले तीन वर्षो में अपनी सौर ऊर्जा क्षमता में 67 गीगावाट का इजाफा करने वाला है, जिससे देश 2022 तक 100 गीगावाट के सौर ऊर्जा लक्ष्य को हासिल कर लेगा और देश बढ़े हुए उत्पादन की वजह से इसके मूल्य में जबरदस्त गिरावट का गवाह बन रहा है।

    केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन(सीओपी25) वार्ता से इतर आईएएनएस से यह बात कही।

    उन्होंने कहा, “हम 2022 तक 67 गीगावाट ऊर्जा को जोड़कर 100 गीगावाट की सौर उर्जा का लक्ष्य हासिल करने जा रहे हैं।”

    जावड़ेकर ने, “सौर ऊर्जा का मूल्य 20 रुपये प्रति यूनिट होता था। लेकिन अब मूल्य इसका मात्र 10 फीसदी है।”

    भारत और फ्रांस ने संयुक्त रूप से 2015 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन(आईएसए) को लॉन्च किया था।

    प्रधानमंत्री के दिमाग की उपज-भारत स्थित गठबंधन का उद्देश्य कीमत कम करके सौर ऊर्जा को लगाने के काम में तेजी लाना और सौर ऊर्जा के धनी देशों में पर्याप्त वित्तीय सहायता से इसे तत्काल स्थापित करना है। यह 83 देशों का गठबंधन है।

    केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पांच साल पहले भारत के पास केवल 3 गीगावाट सौर ऊर्जा थी और आज हमारे पास 33 गीगावाट की सौर ऊर्जा है और यह बड़ी मात्रा है।

    दुनिया से जीवाश्म ईंधनों से दूर रहने का आग्रह करते हुए जावड़ेकर ने कहा, “हमारे पास आज नवीकरणीय ऊर्जा के जरिए 37 प्रतिशत की ऊर्जा क्षमता है। हम इसे बढ़ाना चाहते हैं, क्योंकि हमारी ऊर्जा मांग बढ़ रही है, इसलिए हमने नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा के मिश्रण, वायु और जैव अपशिष्ट के जरिए 40 फीसदी ऊर्जा क्षमता अपने पास रखने का निर्णय लिया है।”

    वैश्विक स्तर पर, भारत चीन और अमेरिका के बाद तीसरा सबसे बड़ा सोलर इंस्टॉलर देश है। भारत ने 20 गीगावाट के संचयी सौर क्षमता को प्राप्त कर लिया है। भारत ने राष्ट्रीय सौर मिशन द्वारा स्थापित 2022 लक्ष्य को चार वर्ष पहले ही प्राप्त कर लिया था।

    2016 में भारत का सोलर इंस्टॉलेशन 4,313 मेगावाट था, जबकि 2017 में यह बढ़कर 9,629 मेगावाट हो गया।

    हालांकि भारत की ऊर्जा मांग अगले दशक तक दोगुनी हो जाएगी। भारत ने इसके लिए ’10 वर्षीय इलेक्ट्रिसिटी योजना’ का खाका तैयार किया है, जिसके अंतर्गत 2027 तक 275 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य हासिल करना है। इस लक्ष्य को पहले से निर्माणाधीन कोयला प्लांटों को छोड़ नए कोयला प्लांट की स्थापना के बिना प्राप्त करना है।

    अमेरिका स्थित ऊर्जा अर्थशास्त्र और वित्तीय विश्लेषण संस्थान (आईईईएफए) में ऊर्जा वित्तीय अध्ययन के निदेशक टिम बकले ने कहा कि भारत ऊर्जा-जलवायु-डीकार्बनाइजेशन नीतियों से संबंधित महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों के स्तर पर विश्व में सेंटर स्टेज में प्रवेश कर रहा है।

    बकले ने आईएएनएस से कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2027 तक 275 गीगावाट के नवीकरणीय ऊर्जा को हासिल करने के स्पष्ट और महत्वाकांक्षी लक्ष्य की वजह से, भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में विश्व का अगुवा बनकर उभरा है।”

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