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    अरूण जेटली की राय

    केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने गुरूवार को एचटी लीडरशिप को संबोधित करते हुए कहा कि 10 फीसदी ​के हिसाब से विकास दर हासिल करना काफी चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत को अगले 5 सालों में 50 लाख करोड़ रुपए निवेश की जरूरत होगी। उन्होंने कहा भारत ने पिछले तीन सालों में मैक्रोइकॉनोमी में सात से आठ फीसदी जीडीपी हासिल कर बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि दो अकों की विकास दर हासिल करने के लिए भारत को बिल्कुल कम अवधि में तेजी से विकास करना होगा।

    50 लाख करोड़ रुपए निवेश की जरूरत

    अरूण जेटली ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए और ज्यादा धन की जरूरत है, उन्होंने कहा कि अगले पांच सालों में इस क्षेत्र में 50 लाख करोड़ रूपए निवेश की आवश्यकता है।

    जेटली ने कहा कि भारत साल 2007 से 2017 के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर पर 60 लाख करोड़ रूपए खर्च कर चुका है। उन्होंने कि 2017—18 के बजट में इस सेक्टर के लिए सरकार ने 3.96 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।

    जीएसटी दरों में सुधार

    जीएसटी मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करते हुए अरूण जेटली ने कहा कि जीएसटी दरों में दोबारा बदलाव राजस्व संग्रह पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि 28 फीसदी जीएसटी श्रेणी की कमियों को दूर कर, अब इस स्लैब में केवल विलासित से जुड़ी वस्तुएं ही रखी जाएंगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने जीएसटी दरों में बदलाव कर मुद्रास्फीति के दबाव को दूर करने की कोशिश की है।

    दो अंकों की मुद्रास्फीति दर पुराने जमाने की बात

    जेटली ने कहा कि दो अंकों की मुद्रास्फीति दर अब पुराने जमाने की बात हो चुकी है। इस आंकड़ें से हम काफी दूर निकल चुके हैं। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को लेकर सरकार का निर्धारित लक्ष्य मात्र 4 फीसदी है।

    राजकोषीय घाटे को और कम किया जाएगा

    वित्त मंत्री ने कहा कि साल 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले सरकार फरवरी में अपना अंतिम बजट पेश करेगी। जिसमें रोजकोषीय घाटे में एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में राजकोषीय घाटे को सुधारने का आंकड़ा बेहतरीन रहा है, ऐसे में हम राजकोषीय घाटे को खत्म करने का इरादा रखते हैं। सरकार ने पिछले साल की 3.5 फीसदी की तुलना में इस साल वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद का 3.2 फीसदी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

    रोजगार सृजन

    अरूण जेटली ने कहा ​कि बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन के लिए हमें छोटे और मध्यम स्तर के उद्यमों तथा अनौपचारिक और असंगठित क्षेत्र पर भी ध्यान देगा होगा। इसके अलावा उन्होंने कहा कि आज का समय ग्रामीण भारत और बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने का है और इन क्षेत्रों में अधिक खर्च की उम्मीद की जा सकती है।