एक जहाँ तमाम आंकड़ों में देश को आर्थिक मामले में तेज़ी से आगे बढ़ता हुआ दिखाया जा रहा है, वहीं अब इसी आर्थिक प्रगति का दूसरा पहलू भी सामने आया है।
वैश्विक संपत्ति रिपोर्ट के अनुसार देश की कुल जनसंख्या में से महज़ 10 प्रतिशत लोगों के पास देश की 77.4 प्रतिशत से भी अधिक की संपत्ति है। वहीं सबसे धनी 1 प्रतिशत लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 51.5 प्रतिशत मतलब आधे से भी अधिक का हिस्सा है।
इस रिपोर्ट के अनुसार देश के महज़ 1 प्रतिशत लोग ही देश की आर्थिक संपन्नता पर कब्जा किए हुए बैठे हैं। ऐसे में आर्थिक रूप से असमानता को बढ़ावा मिलना लाज़मी है।
इसी रिपोर्ट में भी यह भी दर्शाया गया है कि देश की कुल जनसंख्या का 60 प्रतिशत हिस्सा देश की कुल आर्थिक संपन्नता में महज़ 4.7 प्रतिशत का हिस्सेदार है।
देश में आर्थिक असंतुलन में समान रूप से इजाफा हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार देश आर्थिक रूप से संपन्नता की ओर जरूर अग्रसर है, लेकिन देश के सभी लोगों को इसमें उनका हिस्सा प्राप्त नहीं हो पा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार देश में 91 प्रतिशत लोगों के पास 70 हज़ार रुपये से भी कम की संपत्ति है। वहीं देश की कुल जनसंख्या में से महज़ 0.6 प्रतिशत लोगों के पास 75 लाख से भी अधिक की संपत्ति है। देश के लोगों के बीच पनपी ये आर्थिक खाई एक सीमा के बाद देश के विकास में बाधा बन कर उभरेगी।
इस तहत से औसत संपत्ति के मामले में भी देश कहीं पीछे है। भारत में प्रति व्यक्ति के पास औसत संपत्ति 1,289 डॉलर, ब्राज़ील में 4,263 डॉलर, चीन में 16,133 डॉलर, अमेरिका में 61,669 डॉलर व ऑस्ट्रेलिया में यही औसत 1,91,453 डॉलर प्रति व्यक्ति है।