बुधवार को दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन “आसियान” के सभी 10 देशों के नेता के भारत आगमन के साथ ही भारत के आसियान के साथ 25 वर्षों का जश्न शुरू हो गया है। यह जश्न एक स्मारक शिखर सम्मेलन के रूप में मनाया जायेगा।
गुरूवार को नई दिल्ली में होने वाले इस सम्मेलन का विषय “साझा मूल्य, समान भाग्य” रखा गया है जो एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और आर्थिक रूप से जीवंत समूह के बीच समानताएँ उजागर करता है। इस जीवंत समूह में इंडोनेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रूनेई, थाईलैंड, लाओ पीडीआर, म्यांमार और वियतनाम शामिल हैं।
बुधवार को सबसे पहले आने वालों में वियतनाम के प्रधानमंत्री ग्यूयेन तन ज़ूंग होंगे। उनके बाद कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन, फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते, म्यांमार के राज्य सलाहकार आंग सान सू की, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली शियान लॉन्ग, थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयट चैन ओ चा, ब्रूनेई के सुल्तान हसनल बोल्किया, मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब तुन रजक और लाओस के प्रधानमंत्री तजोंगलुं सिसोलिथ आएंगे। इस सूची में अंत में आने वालों में इंडोनेशिया के प्रधानमंत्री जोको विदिदो होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इन सभी नेताओं की गुरुवार को मेज़बानी करेंगे लेकिन द्विपक्षीय बैठक का आरम्भ बुधवार को ही हो जायेगा।
भारत ने 1992 में प्रथम बार आसियान में अपनी भागीदारी दिखाई थी और क्षेत्रीय साझेदार के रूप में आसियान से जुड़ गया था। ये तब की बात है जब भारत ने अपनी “लुक ईस्ट पालिसी” की शुरुआत की थी। 2014 के बाद से भारत ने इसे “लुक ईस्ट पालिसी” से बदलकर “एक्ट ईस्ट पालिसी” कर दिया है। बता दें कि इस साल ही भारत की आसियान के साथ 25 वर्ष की भागेदारी भी पूरी हो रही है और समूह के साथ पांच वर्ष पूरे हो रहे हैं गौरतलब है कि 2017 ने अपने 50 वर्ष पूरे कर लिए हैं।
भारत आसियान क्षेत्र को आर्थिक भागीदार के रूप में देखता है क्योंकि इसके उच्च विकास दर के साथ-साथ लगभग 600 मिलियन लोग आय के रूप मे यहाँ मौजूद हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय में सचिव प्रीती सरन ने पूर्व के एक साक्षात्कार में कहा, “दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र आर्थिक रूप से बहुत जीवंत है, हम बहुत संभावनाएं देखते हैं यह हमारे लिए एक जीवंत आर्थिक वाणिज्यिक जगह है। आसियान पहले से ही हमारा चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और हम उनके सातवें सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार हैं। पिछले दो दशकों में हमारा निवेश 70 अरब डॉलर रहा है इसलिए हम उनके साथ भागीदारी को आगे बढ़ाने में काफी संभावनाएं देखते हैं।”
इस क्षेत्र के कई देशों में भारतीय मूल के लोग हैं, विशेषकर मलेशिया और सिंगापुर में भारत और आसियान के बीच संस्कृति और परम्पराओं की बीच भी समानताएं हैं। भारत का महाकाव्य- रामायण, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच बंटता है।
भारत आसियान को अपना विकास सहयोगी के रूप में देखता है खासकर पूर्वोत्तर इलाकों में जहाँ स्थितियाँ काफी ख़राब हैं। उदाहरण के तौर पर सिंगापुर है जिसने असम में एक कौशल विकास केंद्र की स्थापना की है। भारत इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए सिंगापुर को प्रोत्साहित भी कर रहा है और पूर्व में राज्य से आग्रह भी किया है कि वह भारत के पूर्वोत्तर के लिए सीधी उड़ानें शुरू करे।
भारत-आसियान संबंधों को मजबूत करने की योजनाएं आती रही हैं क्योंकि चीन दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्सों के अपने दावों को दागता है और इसके कारण वह कई दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ विवाद में आ गया है। इसके विपरीत, भारत को सौम्य शक्ति और चीन के लिए खतरे के रूप में देखा जाता है।
गुरुवार को, आसियान नेताओं के लिए पहले भारतीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा एक भोज आयोजित किया जाएगा। इसके उपरान्त लीडर्स रिट्रीट का आयोजन होगा और फिर भारत-आसियान स्मारक शिखर सम्मेलन का पूर्ण सत्र होगा। दिन के अंत में, मोदी मेहमान नेताओं के लिए एक रात्रिभोज की मेजबानी करेगे।
शुक्रवार को ये सभी आसियान नेता भारत के 69वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अथिति होंगे जो कि भारत की परंपरा में एक विराम के समान होगा क्योंकि भारत में प्रतिवर्ष किसी एक ही देश के सरकार प्रमुख को आमंत्रित करते हैं।