निर्देशक ज़ोया अख्तर बॉलीवुड की सबसे सफल और काबिल निर्देशकों में से एक हैं जिन्होंने ‘गली बॉय’, ‘दिल धड़कने दो’ और ‘ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा’ जैसी सुपरहिट फिल्में बनाई हैं। उनकी फिल्मो ने न केवल दर्शको का दिल जीता है बल्कि फिल्म समीक्षकों ने भी इनकी बहुत सराहना की है। ऊपर से, फिल्मो का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन भी हमेशा से चमकता रहा है।
IANS को दिए इंटरव्यू में उन्होंने भारतीय सिनेमा के ऊपर विस्तार से बात की और बताया कि वह ऐसी फिल्में बनाने का प्रयास करती हैं, जिन्हे वह खुद देख सकें।
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उनके मुताबिक, “मैं छोटी थी और तब तक मुझे एक निश्चित धारणा थी कि सिनेमा के रूप में क्या बनता है, जबतक मैंने ‘सलाम बॉम्बे’ नहीं देखी। वो स्विच कि आप वो बना सकते हैं जो आप उस फिल्म को बनाना चाहते हैं। मैं ऐसी फिल्में बनाने की कोशिश करती हूँ जो मैं देख सकती हूँ।”
ज़ोया जो मेलबर्न के भारतीय फिल्म फेस्टिवल के दौरान मौजूद थी, ने ये इस पर भी चर्चा की कि कैसे इतने सालों में बड़े पर्दे पर महिला और पुरुष का प्रतिनिधित्व बदल गया है।
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उन्होंने कहा-“पुरुष जिन्हें हम बड़े पर्दे पर देखते हैं, वह बदल गए हैं। आज उनकी कहानी और उनके किरदार बहुत अलग है। ‘राज़ी’ में विक्की कौशल को देख लीजिये, वो कितना खूबसूरत किरदार था। और इसका क्रेडिट मेघना को जाता है क्योंकि वह इस किरदार को लिख पाई। हम उन पुरुषों को प्रोजेक्ट करने की कोशिश कर रहे हैं जिन्हें हम पर्दे पर देखना चाहते हैं।”
“आपके द्वारा बनाए गए किरदारों को सतह से अधिक गहरा जाना है। आपको वह दिखाना है जो पहले नहीं देखा गया है। बारीकियां होनी चाहिए। विचार एक ऐसी सोच बनाने का है, जो दर्शकों के साथ बेहतर जुड़ सकें।”