गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल की सालाना बैठक का आयोजन रविवार को रियाद में हुआ था जबकि क़तर और सऊदी अरब के मध्य तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस परिषद् के छह सदस्य देश हैं, इस सम्मेलन में छह सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। छह सदस्य देशों का मुख्या फोकस सुरक्षा मसले, तेल राजनीति और क़तर का कुछ पड़ोसियों द्वारा बहिष्कार करना था।
बीते हफ्ते क़तर ने ऐलान किया था कि वह अब तेल निर्यातकों के समूह ओपेक का सदस्य नहीं रहना चाहता है और कहा कि बहिष्कार का मसकद हमारी संप्रभुता को कम करना है। सऊदी के बादशाह ने इस सम्मेलन में क़तर को न्योता दिया था। इस परिषद् का गठन साल 1980 में ईरान और इराक के खिलाफ हुआ था।
इस परिषद् के सदस्य देश सऊदी अरब, यूएई, बहरीन, कुवैत, ओमान और क़तर है। साझे तेल क्षेत्रों के कारण कुवैत और सऊदी अरब के रिश्ते भी तनावपूर्ण है।
अमेरिका ने एकता बनाये रखने को कहा
2 अक्टूबर को तुर्की में स्थित सऊदी अरब के दूतावास में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद अमेरिका ने रियाद पर 4 साल पुरानी जंग का अंत करने और ईरान के खिलाफ क़तर को अपने हक़ में लेने के लिए दबाव बनाया है। हाल ही में अमरीकी अधिकारी ने कहा कि यमन में जंग में वह सऊदी अरब के नेतृत्व का समर्थन जारी रखेंगे।
अरबी गल्फ के मामलों के सह सचिव ने कहा कि हम वापस एकता चाहते हैं, हमारी शर्तों पर नहीं बल्कि उन देशों की जो इस परिषद् में शामिल है। उन्होंने कहा कि अरबी पेनिन्सुला में ईरानी प्रभुत्व के खिलाफ ही जीसीसी की जरुरत नहीं है बल्कि आर्थिक प्रगति के लिए भी महत्वपूर्ण है।
कुवैत और सऊदी अरब के मध्य साझा क्षेत्रीय तेल उत्पादन से तल्खियाँ बढ़ रखी है। सितम्बर में बातचीत के बाद दोनों देश किसी समझौते पर पहुँचने में विफल साबित हुए थे।