भारतीय हॉकी टीम के मुख्य कोच हरेंद्र सिंह ने गुरुवार को खेले गए भारत और नीदरलैंड के बीच क्वार्टरफाइनल मैच में मिली हार के बाद खराब अंपायरिंग को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन (एफआईएच) को इस मुद्दे को गंभीरता से संबोधित करने की जरूरत है क्योंकि इस साल दो बार खराब निर्णयो के कारण उनकी टीम को टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा है। 43 साल के अंतराल के बाद हॉकी विश्वकप मे कब्जा करने की उम्मीद से उतरी भारतीय हॉकी टीम को कल रात नीदरलैंड की टीम ने 1-2 से मात दी थी।
पोस्ट मैच प्रेस कांफ्रेंस मे भारतीय हॉकी टीम के कोच ने कहा यह सही समय है और एफआईएच को अंपायरो के प्रदर्शन की समीक्षा करनी चाहिए। ” मैं अपनी तरफ से माफी मांगना चाहता हूं। हम इस टूर्नामेंट मे जो हासिल करने आए थे वह हमे नही मिला है इसलिए मैं रुकने वाला नही हूं, उन्होने कहा कि अगर अंपायर अपने निर्णय मे सुधार नही करना चाहते तो हमारी टीम को इस प्रकार के परिणामों का सामना आगे भी करना पड़ेगा।”
“क्या कोई अमित रोहिदास के 10वे मिनट मे मिले पीले कार्ड को परिभाषित कर सकता है? उस सज्जन के बारे मे क्या जिन्होने मनप्रीत सिंह को पीछे से धकेला था? उस वक्त पीला कार्ड क्यो नही दिया गया? खराब अंपायरिंग के कारण हमने इस साल दो प्रमुख टूर्नामेंट खो दिए हैं।”
उन्होने कहा “दो बार हमे जब कार्ड दिखाया गया जब हमने कुछ नही किया था, लेकिन जब यह हमारे खिलाफ हुआ तो अंपायर ने इस पर कोई निर्णय नही लिया, उन्हे अपनी अंपायरिंग मे सुधार करने की जररुत है, उसके बाद कोच ने कहा हम इसका कोई विरोध नही करना चाहते और नतीजा स्वीकार करेंगे।”
“99.8 प्रतिशत रेफरल खिलाड़ियों के पक्ष में चला जाता है। एक विरोध का नतीजा मेरे करियर में कभी अच्छा नहीं रहा है। हम इसे कृपा से स्वीकार करते हैं। हम तटस्थ अंपायर चाहते है। मैं चाहता हू कि दोनो टीम के साथ मैदान मे समान्य रुप से व्यवहार किया जाना चाहिए था। एक गलत निर्णय 4-6 साल की तैयारी को बर्बाद कर देता है।”