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    ग्राहम रीड

    नई दिल्ली, 28 मई (आईएएनएस)| भारतीय हॉकी टीम को आठ अप्रैल को ग्राहम रीड केरूप में नया कोच मिला। यह नियुक्ति तब हुई जब भारत के पास ओलम्पिक की तैयारी के लिए सिर्फ डेढ़ साल का समय बचा है। ऐसे में किसी भी टीम या कोच के लिए एक दूसरे को समझना और कोच के लिए उस टीम के खेल को समझना काफी मुश्किल है, लेकिन रीड का मानना है कि उनके पास जो भी समय है उसका सदुपयोग करना ही एक मात्र विकल्प है।

    रीड कहते हैं कि यह समय काफी है बशर्ते उनकी टीम को लगातार सुधार करना होगा और जब भी जहां भी खेलने का मौका मिले, अपने आप को बेहतर करने की मानसिकता के साथ मैदान में उतरना होगा।

    रीड ने कहा कि उनकी टीम इस सोच के साथ ही छह जून से भुवनेश्वर में शुरू हो रहे एफआईएच फाइनल में उतरेगी।

    रीड ने आईएएनएस से फोन पर इंटरव्यू में कहा, “ईमानदारी से कहूं तो यह बात मायने नहीं रखती कि समय है कि नहीं क्योंकि हमें काम करना ही होगा। हमारे पास समय है, हम तैयारी कर रहे हैं। आस्ट्रेलिया दौरे ने हमें आईना दिखाया है कि हमें कहां काम करना है। हम जब भी खेलें अगर हम लगातार सुधार करते रहे तो हमारे लिए अच्छा होगा। हम हर टूर्नामेंट में अच्छा करने की कोशिश करेंगे और उम्मीद करेंगे की ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई कर सकें। हमारे पास जो भी समय है उसे हम सर्वश्रेष्ठ तरीके से उपयोग में ले अपने आप में सुधार करना चाहेंगे।”

    रीड का भारतीय टीम के साथ पहला दौर आस्ट्रेलिया का था, जहां टीम को राष्ट्रीय टीम से दो हार, आस्ट्रेलिया-ए के साथ एक ड्रॉ एक जीत और विक्टोरिया थंडर स्ट्राइकर्स के साथ हार मिली थी। रीड ने कहा आस्ट्रेलिया दौरे से उन्हें पता चला है कि टीम को कहां काम करने की जरूरत है और टीम कर भी रही है।

    पूर्व आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने कहा, “हम हाल ही में आस्ट्रेलिया दौर से लौटे हैं। जो काफी अहम था क्योंकि इससे हमें पता चला कि हम कहां ध्यान देने की जरूरत है और जिस स्तर पर हम जाना चाहते हैं उसके लिए हमें कहां काम करना है। पिछले दो सप्ताह में हमारा फोकस बेहतर हुआ है। गोल करने की क्षमता, सर्किल में गेंद लेने की काबिलियत, वन ऑन वन केनक्शन, मिडफील्ड और स्ट्राइक लाइन में सामंजस्य इन पर हमारा फोकस रहा है।”

    उन्होंने कहा, “हम मौके तो बहुत बना रहे हैं, लेकिन गोल में तब्दील नहीं कर पा रहे। साथ ही हम किस तरह और कहां से सर्किल में जा रहे हैं। डिफेंस पर भी हम काम कर रहे हैं कि हम किस तरह गेंद को रोकें।”

    भारत पेनाल्टी कॉर्नर को गोल में तब्दील करने में कमजोर रहा है, लेकिन रीड को लगता है कि यह सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि कई टीमों की समस्या है और इसका कारण बेहतर होता कॉर्नर डिफेंस है।

    रीड ने कहा, “ईमानदारी से कहूं तो मैं किसी भी टीम के साथ रहूं, मुझसे यह सवाल पूछा जाता है। मुझे लगता है कि इस समय विश्व हॉकी में जो हो रहा है वो यह है कि अधिकतर टीमों का कॉर्नर डिफेंस मजबूत है और इसलिए कॉर्नर पर गोल करना मुश्किल हो गया है। 10 साल, 5 साल पहले कनर्वजन रेट 33 प्रतिशत हुआ करता था, लेकिन इस समय एक-दो टीमें, इनमें शायद अर्जेटीना को छोड़ दें तो सभी पेनाल्टी कॉर्नर को तब्दील करने में संघर्ष करती रही हैं। यह हमारे लिए चुनौती है। अगले 12 महीनों में हमारा ध्यान इस पर होगा लेकिन मुझे लगता है कि यह सवाल इस समय लगभग हर टीम पूछ रही होगी।”

    भुवनेश्वर में छह जून से होने वाले एफआईएच सीरीज फाइनल्स में भारत को अपना पहला मैच रूस से खेलना है। रीड इस टूर्नामेंट को काफी गंभीरता से ले रहे हैं, लेकिन वह ज्यादा दूर की नहीं सोच रहे और सिर्फ एक बार में एक ही मैच पर ध्यान दे रहे हैं।

    उन्होंने कहा, “मैं एक बार में एक मैच पर ध्यान दे रहा हूं क्योंकि कोई भी टीम किसी भी दिन कुछ भी कर सकती है इसलिए मेरा ध्यान सिर्फ एक बार में एक ही मैच पर है। हम इस टूर्नामेंट में हर मैच को फाइनल मान कर खेलेंगे और अपना100 फीसदी देने की कोशिश करेंगे। यहां हर टीम पूरी तैयारी के साथ आ रही है। इसलिए हम किसी भी हल्के में नहीं ले सकते।”

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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