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    हैदराबाद की पशु चिकित्सक युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी हत्या के आरोपियों का अंतिम संस्कार करने के लिए उनके परिजनों को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। दरअसल तेलंगाना हाईकोर्ट ने आरोपियों के शवों को संरक्षित करने का निर्देश दिया है।

    शुक्रवार देर शाम आपात सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अधिकारियों को आरोपियों के शवों को नौ दिसंबर तक संरक्षित करने का निर्देश दिया है। नौ दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश आर. एस. चौहान विभिन्न संगठनों द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे। इन याचिकाओं में पुलिस के हाथों हुई ‘न्यायेतर हत्या’ की जांच की मांग की गई है।

    ज्ञात हो कि 27 नवंबर को एक पशु चिकित्सक की सामूहिक दुष्कर्म व हत्या के चारों आरोपी शादनगर में शुक्रवार तड़के पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे।

    पोस्टमार्टम के बाद चारों शवों को महबूबनगर स्थित सरकारी अस्पताल में शवगृह में संरक्षित किया गया है।

    राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की टीम देर शनिवार अस्पताल का दौरा कर सकती है। इस दौरान टीम शवों को देखने के साथ ही संबंधित अधिकारियों और फोरेंसिक विशेषज्ञों से जानकारी एकत्र कर सकती है।

    एनएचआरसी टीम के दौरे के बाद शवों को हैदराबाद के गांधी अस्पताल में स्थानांतरित किया जा सकता है, क्योंकि महबूबनगर अस्पताल में शवों को देर तक संरक्षित रखने की सुविधा नहीं है।

    कोर्ट ने शवों को सोमवार तक संरक्षित करने का निर्देश देने के साथ ही पोस्टमॉर्टम के दौरान वीडियोग्राफी करने का आदेश भी दिया था।

    वहीं एडवोकेट जनरल बी.एस. प्रसाद ने हाईकोर्ट को बताया कि हैदराबाद के गांधी अस्पताल के फोरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम ने शव परीक्षण किया और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई।

    कोर्ट ने निर्देश दिया कि वीडियो को महबूबनगर के जिला जज को सौंपा जाए।

    मुठभेड़ की रात पुलिस नारायणपेट से आरोपियों के परिजनों को शव सौंपने के लिए लेकर आई थी। हालांकि कोर्ट के दखल के बाद शव सौंपने की प्रक्रिया रोक दी गई।

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