हिमाचल प्रदेश चुनावों में भाजपा बड़ी आसानी से जीत गयी थी। पार्टी नें 68 सीटों में से 42 सीटों पर बहुमत हासिल किया है। अब हालाँकि बीजेपी के सामने प्रदेश का मुख्यमंत्री चुनने के लिए चुनौती का माहौल खड़ा हो गया है। सभी मुख्यमंत्री उम्मीदवारों के समर्थक अलग-अलग होकर एक दुसरे के सामने खड़े हो गए हैं।
तमाम मीडिया चैनलों और अख़बारों के कान इस समय हिमाचल की सियासत को बड़े ही गहराई से सुन रहे है। बीजेपी पार्टी ने भले ही बहादुरी से हिमाचल विधानसभा चुनाव को लड़ा भी है और जीता भी है। लेकिन अब बात यहां आकर अटक गयी है कि इस प्रदेश का अगला सीएम कौन होगा?
सीएम पद की चाह अपने आप में बड़ी है। यहीं कारण है कि कभी संगठित होकर लड़ने वाली पार्टी अब तीन खेमों में बंट गयी है। पार्टी के कार्यकर्ता अब आपस में लड़-भिड़ रहे है। सत्ता की लड़ाई अप्रत्यक्ष नहीं है बल्कि जो है प्रत्यक्ष है। निर्मला सीतारमण और नरेंद्र तोमर को पर्यवेक्षक बनाकर भेजाना भी बीजेपी के लिए कुछ ख़ास साबित नहीं हुआ। पर्यवेक्षकों के साथ हुई बैठक का नतीजा भी बेनतीजा निकला। मुख्यमंत्री पद पर सबसे ज्यादा गर्मागर्मी प्रेम कुमार धूमल और जयराम ठाकुर के बिच देखने मिल रही है।
धूमल और जयराम समर्थक हुए आमने सामने
मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी समर्थक अब आपस में बंट गए है। धूमल और जयराम को लेकर कार्यकर्ता आमने सामने है। धूमल अपने आपको मुख्यमंत्री की दौड़ से अलग तो बता रहे है लेकिन सत्ता की चाह को छोड़ना नहीं चाहते। नतीजा यह है कि सीएम पद को लेकर पार्टी अब तीन खेमों में बंट गयी है।
एक तरफ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा का खेमा है , दूसरी तरफ अपनी सीट से विधानसभा चुनाव हारने वाले पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का खेमा है और तीसरी तरफ जयराम ठाकुर का खेमा है।