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    हिमाचल प्रदेश के मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, प्रदेश की राजनीती में गर्मी बढ़ती जा रही है। सभी राजनीतिक पार्टियों ने यह चुनाव जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया हुआ है। पुरे प्रदेश में सबसे दिलचस्प मुक़ाबला राजधानी शिमला में देखने को मिल रहा है। शिमला की शहरी सीट पर यह मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है।

    शिमला शहर की सीट पर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से सुरेश भारद्वाज, कांग्रेस की तरफ से हरभजन सिंह भज्जी, शिमला नगर की पूर्व नगर पालिका के महापौर माकपा के संजय चौहान और कांग्रेस से बाग़ी हुए हरीश जनरथ इस चुनावी दंगल में है।

    सभी उम्मीदवारों की बात करे तो भाजपा ने तीन बार विधायक रह चुके सुरेश भारद्वाज को टिकट दिया है। कांग्रेस ने हरभजन सिंह भज्जी को उतारा है जिससे कांग्रेस का एक बड़ा दल पार्टी के इस निर्णय के विरोध में आकर कांग्रेस से बाग़ी हुए हरीश जनरथ के साथ आ गया है। वहीं भाजपा में भी सुरेश भारद्वाज को टिकट देने को लेकर एक गुट ने नाराज़गी जताई है। 2012 के विधानसभा चुनावों में इसी सीट पर कांग्रेस से हरीश जनरथ उम्मीदवार थे। उस चुनाव में उनको 628 वोटों से हार मिली थी।

    कांग्रेस शिमला को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिलवा देने का श्रेय लेना चाह रही है। लेकिन सत्तारूढ़ सत्ता के सामने पीलिया फैलना, जलसंकट, पानी और सीवरेज की समस्या और ख़राब सड़को के मुद्दे मुँह उठाये खड़े है। भाजपा के विधायक पद के उम्मीदवार सुरेश भारद्वाज 2007 और 2012 में विधायक बने थे। इतने वक़्त तक सत्ता में रहकर उन्होंने सामान्य आधारों पर काम किया है या नहीं, यह निर्णय शिमला की जनता मतदान के दिन तय करेगी।