हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के मुख्यमंत्री पद के बीच मुख्य रूप से सबसे बड़ी चुनावी लड़ाई मानी जा रही है। हिमाचल प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री और कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार वीरभद्र सिंह अपनी पिछली चुनावी सीट शिमला ग्रामीण को छोड़कर अर्की से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। वहीं भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी अपनी पिछली जीती हुई सीट के बजाय सुजानपुर से चुनाव लड़ रहे है। इन दोनों नेताओं की इस रंजिश के अलावा एक सीट ऐसी भी है, जिसकी पूरे हिमाचल प्रदेश में चर्चा है।
हिमाचल प्रदेश में कुल 68 विधानसभा सीट है, जिसमें सीट संख्या 33 को लेकर भी प्रदेश में बवाल मचा हुआ है। मंडी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला यह चुनावी क्षेत्र अनारक्षित है। वर्तमान में मंडी की कुल आबादी 1,12,238 हैं। इस चुनावी क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 69,270 है। मंडी जिले को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है, इसे हिमाचल की काशी भी कहा जाता है।
छोटी काशी क्यों है मंडी
मंडी को छोटी काशी कहने के पीछे कई तथ्य है। मंडी में कुल 81 मंदिर है जिनकी संख्या काशी (वाराणसी) से 1 ज्यादा है। बता दें कि वाराणसी में मंदिरों की संख्या 80 है। मंडी अपने प्राचीन मंदिरों और उनमें की गयी नक्काशियों के लिए बहुत मशहूर है।
मंडी में कांग्रेस का बोलबाला
मंडी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का बोलबाला कई सालों से है। 1977 के बाद 1990 के वर्ष को छोड़ दे तो अब तक के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने इस सीट को अपने हाथों से नहीं जानें दिया। मंडी विधानसभा क्षेत्र में 1977 के बाद एक ही परिवार का कब्जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश की मंडी केवल एक ऐसी सीट है जहां पिछले कई वर्षो एक ही परिवार का राज रहा है। भारतीय जनता पार्टी पिछले कुछ वर्षों से इस सीट पर अपने आस्तित्व की तलाश कर रही है। इस सीट पर लम्बे समय से सुखराम का राज रहा था, 1990 में पहली बार बीजेपी को इस सीट पर पहली बार जीत मिली थी। वर्तमान में इस सीट पर अनिल शर्मा विधायक है। अनिल शर्मा सुखराम के बेटे है। अनिल शर्मा पिछले एक दशक से इस सीट पर काबिज है। फिलहाल इस सीट पर से अनिल शर्मा बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है।
कैसे हुई पार्टी बनाम परिवार की लड़ाई
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और सुखराम के बीच हुए विवाद के बाद उन्होंने हिमाचल विकास कांग्रेस से 1998 में चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। उसके बाद इन्होंने 2003 के चुनाव में भी जीत हासिल की थी। इसके बाद सुखराम के बेटे अनिल शर्मा ने मंडी से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। अनिल शर्मा ने कांग्रेस के टिकट से 2007 और 2012 में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। पिछले दिनों में कांग्रेस और अनिल शर्मा में के बीच में खटपट हो गयी थी। इसी कारण अनिल शर्मा ने कांग्रेस को अलविदा कर बीजेपी का दामन थाम लिया है। भाजपा ने अनिल शर्मा को मंडी से टिकट दिया है। इतने कद्दावर नेता के पार्टी छोड़ जानें से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है।
अनिल के लिए रणनीति
कांग्रेस ने हिमाचल में सुखराम और उनके बेटे अनिल शर्मा के कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके खिलाफ मंडी में चंपा ठाकुर को काट के रूप में उतारा है। चंपा ठाकुर राज्य के स्वास्थ मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता कौल सिंह ठाकुर की बेटी है। और वह जिला परिषद अध्यक्ष भी है। चंपा ठाकुर के नामंकन के बाद अनिल शर्मा के लिए मुश्किलें बढ़ गयी है। इसके अलावा इस सीट पर बहुजन समाजवादी पार्टी के नरेंद्र कुमार और साथ ही चार निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में उतरे है।
फैसला 18 दिसम्बर को
हिमाचल प्रदेश की महत्वपूर्ण सीटों में से एक मंडी की सीट पर देखना होगा जनता क्या फैसला करती है। इस सीट पर एक तरफ परिवार है जो पिछले विधानसभा चुनावों में अजेय रहा है। और दूसरी तरफ वर्तमान सरकार में कैबिनेट मंत्री की बेटी। आंकड़ों के मुताबिक इस विधानसभा सीट पर वर्चस्व पार्टी का नहीं एक परिवार का रहा है। इस सीट से जनता पार्टी को चुनेगी या फिर परिवार को, इसका फैसला 18 दिसम्बर को आएगा।