भारत की नौसेना के प्रमुख एडमिरल सुनील लाम्बा ने कहा कि “हिन्द महासागर के उत्तरी भाग में चीन का बढ़ता प्रभुत्व भारत के लिए चुनौती है लेकिन नई दिल्ली ने भी समुद्र पर तैनात चीनी पनडुब्बियों और जहाजों पर पैनी निगाह बनायीं हुई है।” नौसैन्य प्रमुख चार दिनों की यात्रा पर ब्रिटेन गए हैं।
उन्होंने कहा कि “चीन के मुकाबले कोई भी देश जहाजों के निर्माण पर निवेश नहीं कर रहा है। यह एक चुनौती है। हमने वहां तैनाती और उपस्थिति पर नज़रे रखी हुई है।” सुनील लाम्बा ने कहा कि “छह से आठ नौसैन्य विमान हिन्द महासागर के उत्तरी क्षेत्र में उपस्थित है।”
‘मेरीटाइम स्ट्रेटर्जी एंड इट्स कंट्रीब्यूशन टू द इंडो पैसिफिक एंड ग्लोबल कॉमन्स’ में चर्चा के दौरान सुनील लाम्बा ने कहा कि “भारत ब्रेक्सिट के बाद चुनौतियां नहीं देखता है, लेकिन नौसैन्य सहयोग में ब्रिटेन के साथ अत्यधिक अवसरों को देखता है। हमारे द्विपक्षीय सम्बन्ध निरंतर और संयुक्त हित वाली दोस्ती से बीते वर्षों में काफी मज़बूत हुए हैं। समुंद्री चुनौतियों में हमारे परिपेक्ष्य सामान्य हैं और इसका सामना करने के लिए सहयोगिक फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि “इस वर्ष के अंत में भारत का एक जहाज कोंकन 19 अभ्यास में भाग लेने के लिए ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व करेगा। भारत और ब्रिटेन सबसे ताकतवर 10 अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है और वह ताकतवर अर्थव्यवस्था समुंद्री व्यापार के आधार पर बनी है।”
सुनील लाम्बा ने ब्रिटेन के सैन्य अध्यक्ष से भी मुलाकात की और पोर्ट्समाउथ के नौसैन्य बेस की यात्रा की थी। ब्रिटेन 29 मार्च को 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ से अलग हो जायेगा। ब्रेक्सिट का फैसला जनमत संग्रह के आधार पर लिया गया था।