मेघालय उच्च न्यायलय ने केंद्र से आग्रह किया है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आये लोगों को बिना दस्तावेजों के नागरिकता प्रदान की जाए। न्यायाधीश एसआर सेन ने कहा कि इन देशों से आये हिन्दुओं, सिखों, जैन, बौद्ध, पारसी, क्रिस्चियन, खासिस, जिंतिय्स और गारो को नागरिकता दी जाए। न्यायाधीश ने कहा कि मैं सम्मानीय प्रधानमन्त्री, गृह मंत्री, कानून मंत्री व अन्य सांसदों से विनती करना चाहूँगा कि इन देशों से आये लोगों को यहाँ सुकून से जीवन यापन करने दिया जाए। उन्होंने कहा कि इन लोगों को बिना दस्तावेजों और प्रशनों के नागरिकता मुहैया की जाए।
अदालत ने कहा कि यही नियम बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के निवासियों के लिए भी होने चाहिए। उन्होंने किसी भी वक्त भारत में बसने की आज़ादी होनी चाहिए और सरकार को उन्हें पुनर्वास मुआहिया करके, भारत की नागरिकता प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विदेशों में रह रहे हिन्दुओं और सिखों के लिए बभी यही नियम लागू होना चाहिए।
अदालत ने कहा कि हम भारत सरकार से दरख्वास्त करना चाहेंगे की बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आये इन समुदायों के संरक्षण के लिए गंभीरता से विचार करें। साथ ही विदेशों से आने वाले लोगों के लिए भी सोचे क्योंकि भारतीय नागरिक होने के नाते यहाँ आने का उनका अधिकार है। जस्टिस सेन ने बाउंड्री कमीशन की भी आलोचना की जिन्होंने विभाजन के वक्त उपमहाद्वीप के टुकड़े करके भारत और पाकिस्तान को सौंपने का निर्णय लिया था।
उन्होंने कहा कि विभाजन समिति ने कोई कार्य नहीं किया, मात्र एक काल्पनिक रेखा खींच दी थी और भारत को दो हिस्सों में विभाजित कर दिया था। उदाहरण स्वरुप उन्होंने कहा कि सीमा पर यह पता लगाना नामुमकिन हैं कि कौन सा इलाका भारत में हैं और कौन सा पाकिस्तान में पड़ता है। उन्होंने कहा कि किसी का रसोईघर भारत में है तो कमरा बांग्लादेश में होता है।
उन्होंने कहा कि मैं यक़ीनन कह सकता हूँ कि हिन्दुओं, सिखों, जैन, बौद्ध, पारसी, क्रिस्चियन, खासिस, जिंतिय्स और गारो भारत के रहने वाले हैं या जिस दिन भी वह भारत आते हैं, उन्हें भारतीय नागरिक घोषित कर देना चाहिए ताकि भविष्य में उन्हें भारतीय कहा जाए। उन्होंने कहा कि बहरहाल मैं भारत ने पीढ़ियों से रह रहे मुस्लिम भाइयों और बहनों या भारतीय कानून के खिलाफ नहीं हूँ, उन्हें भी देश ने शांति से रहने की अनुमति मिलनी चाहिए।
न्यायाधीश ने कहा कि भारतीय कानून सभी भारतीय नागरिकों के लिए एकसमान होना चाहिए और जो भारतीय कानून व संविधान का विरोध करता हैं, उन्हें देश का नागरिक नहीं समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी को भी भारत को दुसरे इस्लामिक देश के रूप में बदलने का प्रयास नहीं करना चाहिए क्योंकि वह दिन भारत और विश्व के लिए क़यामत का दिन होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार और पश्चिम बंगाल की ममता बेनर्जी सरकार ही राष्ट्र हित के मसले को गंभीरता से समझ सकती है।