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    मोहन भागवत केरल

    राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हिदुस्तान हिन्दुओ का है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि यहां दूसरे धर्म के लोग नहीं रह सकते है। भागवत ने आगे कहा कि जैसे जर्मनी में रहने वाले जर्मन है, ब्रिटैन में रहने वाले ब्रिटिश और अमेरिका में रहने वाले अमेरिकी उसी तरह हिन्दुस्तान में रहने वाला हर नागरिक हिन्दू है।

    संघ प्रमुख ने आगे कहा कि हिन्दू का अर्थ है जो भारत मां की संताने है, जिनके पूर्वज भारतीय है और जो भारतीय संस्कृति का अनुसरण करते है। उन्होंने आगे आरएसएस के बारे में कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का उद्देश्य कभी भी लोकप्रिय होना या प्रभावी बनाना नहीं है, बल्कि समाज को एकजुट करना है।

    राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत शुक्रवार को इंदौर के कॉलेज के एक कार्यक्रम में मौजूद थे यहां उन्होंने यह बाते कहीं, उन्होंने मौजूदा सरकार, भारतीय समाज और विकास को लेकर भी बात की। इस कार्यक्रम में करीब एक हज़ार छात्र और शिक्षक शामिल थे। कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालय खंडवा के डीन प्रकाश, संघ पदाधिकारी अशोक सोहनी व लक्ष्मणराव नवाथे, राजेश मेहता और अन्य अतिथि मंच पर मौजूद थे

    समाज बनता है सरकार

    भागवत ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि जंगल में घूमने वाले शेर को चिड़ियाघर के मज़बूत पिंजरे में ले आना विकास नहीं है। समाज से ही सरकार बनती है, इसलिए समाज जितना दौड़ेगी सरकार उतना ही विकास कर पायेगी। भागवत ने आगे कहा कि सरकार के लिए समाज पिता तुल्य है, जब समाज के लोग खुद में परिवर्तन लायेंगे तो सरकार और सिस्टम में भी इसका असर देखने को मिलेगा

    आचरण और दृष्टि में परिवर्तन की जरुरत

    संघ प्रमुख ने कहा कि कभी भी डंडे के दम पर परिवर्तन नहीं लाया जा सकता है, भारत को विश्व गुरु बनने के लिए आचरण, विचार और दृष्टि में बदलाव लाना होगा। देश में किसी भी आधार का भेदभाव नहीं होना चाहिए और हम उसी दिशा में आगे की ओर बढ़ रहे है।

    युवाओ को मिलकर काम करना चाहिए

    राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने युवाओ को समझाते हुए कहा कि उन्हें यूरोप से साथ मिलकर काम करने की सीख लेनी चाहिए। भागवत ने भगिनी निवेदिता का हवाला देते हुए कहा कि हमें मिलकर उद्दम करना यूरोप से सीखना चाहिए। ध्येय प्राप्ति के लिए वहां विरोधी और विपरीत सोच वाले भी साथ मिलकर काम करते है।

    क्रांति कुछ समय में नहीं आती

    भागवत ने युवाओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि क्रांति कुछ माह या कुछ साल से नहीं आती है, बल्कि यह पूरी सदी के प्रयास से आती है। उन्होंने आगे कहा कि सबके विचार और पहचान अलग-अलग हो सकती है, लेकिन सभी को मिलकर चलना और उत्कर्ष की प्राप्ति करना ही तो धर्म है।

    देश के विकास में स्वछता भी जरुरी

    संघ प्रमुख ने स्वछता को लेकर कहा कि कुछ लोग सोचते है कि देश की उन्नति करना है तो व्यापर के बारे में सोचे, देश की आर्थिक स्थिति का सोचे, देश की सेना का सोचे। स्वच्छता इसमें कहा से आ गई। भागवत ने कहा कि देश की उन्नति और कल्याण के लिए आंतरिक शुचिता और अनुशाशन जरुरी है।

    सिंधु के पार हिन्दू

    भागवत ने हिन्दू की परिभाषा को बताए हुए कहा कि सिंधु नदी के पार और हिमालय के आगे का पूरा भू-भाग हिन्दुस्तान है। भारत में युवाओ की भूमिका के बारे में बताते हुए भागवत ने कहा कि हिन्दुस्तान में युवाओ की भूमिका अहम है। संस्कृति और भारतीय परम्परा को आगे ले जाने में भारत के युवाओ का अहम योगदान है।