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    हिजबुल मुजाहिद्दीन का कमांडर रियाज़ नायकू

    हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर रियाज़ नायकू ने कहा कि चरमपंथी धर्म का पालन हमें भारत के साथ बातचीत के लिए नहीं रोकता है, लेकिन बातचीत से तभी अच्छे परिणाम संभव है जब बातचीत करने वाले दोनों समूह एक-दूसरे बराबरी  का दर्जा दें।

    हिजबुल के कमांडर ने एक अलजजीरा को दिए इंटरव्यू में कहा कि एक उस्ताद और गुलाम के बीच बातचीत मुमकिन नहीं है, जैसे एक तलवार और गर्दन के बीच चर्चा नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि कुछ भारतीय नेता भारतीय संविधान के अनुरूप बातचीत के लिए आग्रह करते है। उन्होंने कहा कि भारतीय नेताओं को हमारी राजनीतिक मांगे सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं है, उनकी दिलचस्पी केवल अपनी नीतियों को थोपने की है।

    सैन्य विरोध की रणनीति पर कमांडर ने कहा कि जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना के अभियान के खिलाफ हम लम्बे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं और यह समकालीन समय में सबसे बर्बर पेशा है। उन्होंने कहा कि हाँ, हमने सैन्य अवरोध का मार्ग चुना है लेकिन हम यहाँ जंग के लिए नहीं शांति के लिए हैं।

    हिजबुल के कमांडर ने कहा कि कश्मीरी जनता ने साल 1947 से 40 सालों तक कभी हथियार नहीं उठाये थे लेकिन जब सब्र के सभी बाँध टूट गए लिहाजा हमें ऐसा कदम उठाना पड़ा। उन्होंने कहा संयुक्त राष्ट्र ने कई मसौदे पारित किये कि जम्मू कश्मीर की आवाम की इच्छा का सम्मान किया जाए लेकिन भारत ने इन्हें लागू करने से निरंतर इनकार करता रहा है, उसने हमेशा कश्मीर के मसले को अपना आंतरिक विवाद बताया है, जो क़ानून और इतिहास के विवाद के कारण चलता आ रहा है।

    रियाज़ नायकू ने कहा कि हथियार उठाना हमारा पहला चयन नहीं था और यह बेहद मुश्किल चुनाव था लेकिन हम अपने चुने रास्ते पर खरे उतरेंगे। उन्होंने कहा कि इतिहास में कोई भी संघर्ष अनोखा नहीं है फिर चाहे वो ब्रिटेन से भारत के आज़ादी हो, लीबिया का इटली के नियंत्रण से बाहर निकलना हो, सभी में संघर्ष होता है.।उन्होंने कहा कि अपनी पीढ़ियों की आज़ादी के लिए आज हम कुर्बानियां दे रहे हैं।

    हिजबुल के कमांडर ने कहा कि भारत अधिकृत कश्मीर में हथियार उठाकर हम उन्हें बताना चाहते हैं कि किसी भी हालात में अपनी सरजमीं पर किसी अन्य का अधिग्रहण हम बर्दास्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि हम उनकी ताकत का जवाब अपनी ताकत से देंगे क्योंकि वे उसी भाषा को समझते हैं।

    नायकू ने कहा कि जब तक भारत के चंगुल से कश्मीर आज़ाद नहीं हो जाता तब तक हम लड़ते रहेंगे, ऐसी आज़ादी कुर्बानिय मांगती है। आज भी भारतीय सेना कश्मीरी लोगों का नरसंहार कर रही है। उन्होंने कहा कि हम आज़ादी चाहते हैं, भारत की सेना और अवैध गतिविधियों से स्वंत्र होना ही हमारा मकसद है। उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान को अपनी वैचारिक और नैतिक दोस्त मानते हैं। पाकिस्तान ही एकमात्र देश है जो हमारी समस्याओं को अंतर्राष्ट्रीय संघो के समक्ष रखता है।

    कमांडर ने कहा कि हम समझते हैं कि सैन्य लड़ाके आम नागरिकों से भिन्न नहीं है, हम अलग है लेकिन शरीर के अंग एकसमान है। उन्होंने कहा कि हम जिंदगी और मौत में अपनी लोगों के साथ खड़े रहेंगे।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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