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    भारत फ्रांस हिंद प्रशांत क्षेत्र

    हाल ही में फिलीपीन्स में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया व जापान के बीच में चतुष्कोणीय बैठक आयोजित हुई थी। इस बैठक में हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र के मद्देनजर चारों देशों ने गठबंधन की योजना बनाई थी। अब इस गठबंधन में फ्रांस ने भी शामिल होने का संकेत दिया है।

    फ्रांस के राजदूत अलेक्जेंडर जिग्लर ने कहा कि फ्रांस इन चारों देशों के बहुपक्षीय गठबंधन में शामिल होने के बारे में सकारात्मक तरीके से विचार करेगा।

    इन्होंने कहा कि उनका देश भारत का सबसे पुराना रणनीतिक साझेदार देश है। वह भारत के साथ हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र के हितों के लिए काम करने पर खुले तौर से चर्चा करेगा। हालांकि बहुपक्षीय गठबंधन में शामिल होने पर विचार करेगा।

    फ्रांस के विदेश मंत्री भारत के दौरे पर आएंगे

    गौरतलब है कि फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-इव ली द्रां शुक्रवार से भारत यात्रा पर आएंगे। इस दौरान दोनो देशों के बीच होने वाली द्विपक्षीय वार्ता के दौरान हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर बन रहे गठबंधन में फ्रांस के शामिल होने की संभावना हो सकती है।

    इससे दो हफ्ते पहले फ्रांस की रक्षा मंत्री भी भारत दौरे पर आई थी। उससे पहले फ्रांस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भारत आए थे। अब विदेश मंत्री भारत आ रहे है। इन दौरों से भारत फ्रांस सम्बन्ध काफी मजबूत होते दिख रहे हैं।

    फिर उसके बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों की भी भारत यात्रा अगले साल की शुरुआत में होने की संभावना है। फ्रांस के विदेश मंत्री भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात करेंगे।

    चीन को घेरने की तैयारी में लगे है देश

    फिलीपीन्स में चार देशों की हुई बैठक के दौरान चीन को घेरने को लेकर चर्चा हुई थी। इन देशों की कोशिश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल को रोकना है। जिस पर चारों देशों ने साथ में आने का फैसला किया था।

    अब फ्रांस ने भी कहा है कि वो भारत के साथ इस मुद्दे पर द्विपक्षीय वार्ता करेगा। साथ ही बहुपक्षीय गठबंधन में शामिल होने पर विचार करेगा।

    चीन के साथ जारी दक्षिण चीन सागर विवाद को लेकर भी ये बहुपक्षीय गठबंधन इसे दूर करने की कोशिश करेगा। अगर फ्रांस इस गठबंधन में शामिल हो जाता है तो चीन की मुश्किलें ज्यादा बढ़ जाएगी।

    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में फ्रांस की मौजूदा स्थिति

    फ्रांस एकमात्र ऐसा पश्चिमी देश है जिसका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रीयूनियन द्वीप सहित एक विशेष आर्थिक क्षेत्र शामिल है जो करीब 20 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।

    इस क्षेत्र में फ्रांसीसी नागरिकों की आबादी करीब एक लाख है जिसमें भारतीय मूल के करीब 30 प्रतिशत लोग शामिल है। इस दृष्टि से फ्रांस का भारत के साथ इस क्षेत्र के विकास के लिए सहयोग करना काफी जरूरी है।

    फ्रांसीसी नौसेना संयुक्त अरब अमीरात, जिबूती और रीयूनियन में ठिकानों का रखरखाव करती है। जिसमें करीब 20000 स्थायी सेना शामिल है। इसके अलावा फ्रांस व भारत के बीच में पहला अंतरराष्ट्रीय संयुक्त नौसैनिक अभ्यास साल 1983 में आयोजित किया।