नई शिक्षा नीति (NEP) पर नौ सदस्यीय के कस्तूरीरंगन समिति द्वारा तैयार नया ड्राफ्ट भारत में शैक्षिक नीति में सुधार के लिए कई सिफारिशों के साथ आया था। ऐसी एक ‘भारत-केंद्रित’ और ‘वैज्ञानिक’ सिफारिश में से एक प्रस्ताव था कि हिंदी को कक्षा 8 तक अनिवार्य किया जाना चाहिए।
ऐसी प्रमुख सिफारिश हैं कि “देश भर में कक्षा 8 तक हिंदी अनिवार्य के साथ तीन-भाषा के फार्मूले का सख्ती से पालन करें, विज्ञान और गणित के लिए देश भर में एक समान पाठ्यक्रम सुनिश्चित करें, आदिवासी बोलियों के लिए देवनागरी में एक लिपि विकसित करें, और “हुनर (कौशल)” के आधार पर शिक्षा को बढ़ावा दें।”
वर्तमान में, हिंदी कई ‘गैर-हिंदी भाषी राज्यों ‘में अनिवार्य नहीं है, जैसे-तमिल नाडू, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गोवा, पश्चिम बंगाल और असम।
सूत्रों ने बताया कि समिति ने अपनी रिपोर्ट पिछले महीने मानव संसाधन विकास मंत्री (HRD) मंत्रालय को दी थी। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए HRD मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा-“समिति की रिपोर्ट तैयार है और सदस्यों ने अपॉइंटमेंट की मांग की है। मुझे संसद सत्र के बाद रिपोर्ट मिल जाएगी।”
गुरुवार वाले दिन, इन खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए जावड़ेकर ने ट्वीट किया-“समिति ने अपनी नयी शिक्षा नीति की ड्राफ्ट रिपोर्ट में किसी भी भाषा को अनिवार्य करने की सिफारिश नहीं की है।”
The Committee on New Education Policy in its draft report has not recommended making any language compulsory. This clarification is necessitated in the wake of mischievous and misleading report in a section of the media.@narendramodi @PMOIndia
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) January 10, 2019
सूत्रों का कहना है कि सरकार ने अभी तक नीति का अगला कदम तय नहीं किया है।
उनके मुताबिक, “जबकि सामाजिक विज्ञान के तहत विषयों को स्थानीय कंटेंट की आवश्यकता है, लेकिन कक्षा 12 तक के विभिन्न राज्य बोर्डों में विज्ञान और गणित के विभिन्न पाठ्यक्रम के लिए कोई तर्क नहीं है। किसी भी भाषा में विज्ञान और गणित पढ़ाया जा सकता है, लेकिन सभी राज्यों में पाठ्यक्रम समान होना चाहिए।”
ये भी पता चला है कि कक्षा 5 तक पाठ्यक्रम को स्थानीय भाषाओं में ही तैयार करना चाहिए जैसे अवधी, भोजपुरी, मैथिलि क्योंकि उन क्षेत्रों में इन भाषाओं का इस्तेमाल होता है।
“और ऐसी कई आदिवासी बोलियाँ है जिनकी या तो कोई लिपि नहीं है या फिर वे मिशनरी के प्रभाव के कारण रोमन में लिखी गयी है। NEP कहता है कि इन बोलियों के लिए देवनागरी को लिपि के तौर पर विकसित किया जाएगा। वो कहता है कि हमें ‘भारत-केन्द्रित’ शिक्षा व्यवस्था चाहिए।”
समिति द्वारा बनाई गयी अन्य सिफारिशें हैं-
- प्रधानमंत्री ने नेतृत्व में बनी हाई-पॉवर समिति नियमित अंतराल पर मिलती रहेगी।
- गैर-नौकरशाहों के नेतृत्व में नियामक तंत्र को और मजबूत बनाना होगा।
- एससी/एसटी छात्रों के बीच तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
पूर्व ISRO प्रमुख कस्तूरीरंगन के अलावा इस समिति में मुंबई स्थित शिक्षाविद वसुधा कामत, यूनियन MoS के जे अल्फोंस, प्रिंसटन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और गणितज्ञ मंजुल भार्गव समेत और भी कुछ सदस्य मौजूद हैं।