सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के साथ-साथ एमिकस क्यूरीए पीएस नरसिम्हा ने गुरुवार को फैसला किया कि भारत के ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या और सलामी बल्लेबाज केएल राहुल के अंतरिम निलंबन को अभी तुरंत प्रभाव से हटा दिया जाए, राष्ट्रीय चयनकर्ताओ ने पंड्या को भारतीय टीम में शामिल करने का फैसला किया जो इस वक्त न्यूजीलैंड में सीमित ओवरों की श्रृंखला खेल रही है। राहुल को भारत की ‘ए’ टीम में शामिल होने के लिए कहा गया है। लेकिन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के कुछ तिमाहियों में यह कदम अच्छा नहीं रहा है।
बोर्ड के कुछ अधिकारियो का मानना है कि निलंबन हटाने का कदम एक दिशा में सही कदम था, कि पांड्या को न्यूज़ीलैंड के लिए उड़ान भरने के लिए कहा है- लेकिन यह फैसला किसी को सही संकेत नही देता जैसे की ऑलराउंडर विजय शंकर- पांड्या को महिलाओ पर अभद्र टिप्पणी के बाद टीम में दोबारा रखा गया है, तो इस दृश्य को देखते हुए राहुल को भी राष्ट्रीय टीम में जगह मिलनी चाहिए थी।
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया “अभी भी मैं इस तर्क को नही समझ पा रहा हूं और यह मेरे दिमाग में घूम रहा है। पहले खिलाड़ी निलंबित होते है और उनके लिए लंबित जांच की समिति बनायी जाती है, जबकि पता होता है इसमे कोई लोकपाल नही है। फिर एक लोकपाल नियुक्त करने के संघों के प्रयासों को स्पष्ट रूप से अवरुद्ध कर दिया जाता है। जिसके बाद खिलाड़ियों के प्रतिस्थापन को न्यूजीलैंड भेज दिया जाता है। तब वे निलंबन को रद्द करने का निर्णय लेते हैं जब निलंबन रद्द करने का कोई प्रावधान नहीं होता है।
” तब, न्यूजीलैंड में प्रतिस्थापन होने के बावजूद, चयन स्मिति आश्चर्यजनक रूप से फिर से मिलती है और दोनो खिलाड़िो में से एक को न्यूजीलैंड भेजती है। इससे आप विजय शंकर को क्या संदेश देना चाहते है? क्या हमारी बेंच मजबूत नही है? बीसीसीआई के अधिकारी ने आगे बताया कि भारतीय क्रिकेट प्रशासन अक्षमता के मामले में फंसता जा रहा है और वे जितना अधिक झांकते है, उतना ही डूबते है।”
पांड्या न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरे वनडे मैच में टीम की तरफ से खेलते नजर आ सकते है तो वही केएल राहुल दूसरी ओर इंडिया के लिए आखिरी तीन वनडे मैचो में शामिल हो सकते है।