संयुक्त राष्ट्र ने गुरूवार को जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद की आतंकी सूची से बाहर निकले जाने की अर्जी को खारिज कर दिया है। वैश्विक आतंकी की सूची में हाफिज सईद के बरकरार रहने से भारत को सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए सहयोग मज़बूत होता दिख रहा है।
लश्कर ए तैयबा का सरगना पाकिस्तान में मौजूद है और मुल्क के सेना से काफी मेलजोल रखता है। साल 2008 से मुंबई हमले का मास्टरमाइंड यूएनएससी-1267 सैंक्शन कमिटी लिस्ट में मौजूद है। साथ ही भारत पाकिस्तान में आज़ाद घूम रहे जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को भी आतंकी सूची में शुमार करना चाहता है।
हफ़ीज़ सईद को यूएन की आतंकी सूची से बहार निकलवाने में इस्लामाबाद भी उसकी मदद कर रहा है। पाकिस्तान ने सईद का इंटरव्यू लेने आ रही यूएन की टीम का वीजा रद्द कर दिया था। पाक सरकार हफ़ीज़ सईद और यूएन की टीम का आमना सामना नहीं चाहती है। हालाँकि सईद ने यूएन की टीम के साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिये बातचीत की थी।
32 पन्नो की रिपोर्ट में यूएन ने सईद के आग्रह को ठुकरा दिया। यूएन के लोकपाल ने बताया कि पाक सरकार द्वारा वीजा करने की सूचना के बाद उन्होंने फ्लाइट का टिकट कैंसिल करवा दिया था। यह यात्रा यूएन के लिए हफ़ीज़ सईद की आतंकी गतिविधियों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
वीडियो कांफ्रेंस में हफ़ीज़ सईद ने पाकिस्तानी अदालत द्वारा उसे छोड़े जाने का जिक्र किया था। पाकिस्तानी अदालत द्वारा हफ़ीज़ सईद को नज़रबंदी से रिहा कर देने का भारत ने विरोध किया था। भारतीय अधिकारीयों ने दावा किया कि हफ़ीज़ सईद के एक आंतकी होने की भूमिका का आंकलन कोई पाकिस्तानी अदालत नहीं कर सकतीं है।
साल 2009 में भारत ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था। साल 2016 में भारत ने ब्रिटेन, अमेरिका और फ्रांस के साथ यूएन में मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में रखने के लिए प्रस्ताव रखा था। साल 2017 में तीन स्थायी सदस्यों ने ऐसा ही प्रस्ताव रखा, हालाँकि चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया था।
पुलवामा आतंकी हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी समर्थित आतंकी समूह जैश ए मोहम्मद ने ली है। इस आतंकी हमले में सीआरपीएफ से काफिले से टकराई एक कार में भयानक विस्फोट हुआ, जिसमे 44 जवान शहीद हो गए और पांच बुरी तरह जख्मी थे।